हरियाणा सरकार ने नई शराब नीति लागू की है जिसकी वजह से गुरुग्राम में शराब की कीमतों में 20% का इजाफा हो गया है। ये नीति 12 जून को लागू हुई थी। इस नई नीति में शराब पर टैक्स बढ़ा दिया गया है जिसकी वजह से शराब की कीमतें बढ़ गई हैं।
हाल ही में हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम में शराब की दुकानों (एक्साइज ज़ोन) के लिए नीलामी की थी। नीलामी सफल रही और सरकार को इससे 1756 करोड़ रुपये मिले। ये रकम रिजर्व प्राइस (न्यूनतम कीमत) से 9.4% ज्यादा है। कुल 162 दुकानों की नीलामी हुई – 83 गुरुग्राम के पश्चिम में और 79 पूर्व में।
सबसे ज्यादा बोली गोल्फ कोर्स रोड की दुकान के लिए लगी, जो 50.57 करोड़ रुपये थी। इसके बाद ब्रिस्टल चौक वाली दुकान के लिए 48.28 करोड़ रुपये की बोली लगी। गौर करने वाली बात ये है कि सबसे ऊंची 10 बोलियों में से 5 दुकानें दिल्ली बॉर्डर के पास स्थित हैं।
14 जून को होने वाली शराब की दुकानों की नीलामी में कितनी कमाई होगी?
14 जून को और दुकानों की नीलामी होनी है। इसमें पश्चिम क्षेत्र में 2 और पूर्वी क्षेत्र में 20 दुकानों को शामिल किया गया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शराब की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद दिल्ली और नोएडा के ग्राहक शराब खरीदने के लिए गुरुग्राम आना जारी रखते हैं। हालांकि कीमतें बढ़ी हैं, फिर भी ग्राहकों को दिल्ली की तुलना में गुरुग्राम में शराब की अधिक वैरायटी मिलती है, जहां अक्सर स्टॉक कम होता है।
हरियाणा की नई आबकारी नीति में क्या शामिल है?
इस शराब नीति का मुख्य उद्देश्य दो चीजें हैं: पहला, शराब विक्रेताओं को पूरे बाजार पर कब्जा करने से रोका जाए और दूसरा, शराब की दुकानों को देने का एक साफ और पारदर्शी तरीका बनाया जाए। साथ ही ये नीति अच्छी क्वालिटी की शराब उचित दाम पर लोगों को मुहैया कराने की कोशिश करती है।
हालांकि, इस नई नीति की वजह से शराब की कीमतों में भी थोड़ा इजाफा हुआ है। उदाहरण के तौर पर, अब देसी शराब की हर बोतल पर 5 रुपये और बीयर की हर बोतल पर 20 रुपये ज्यादा देने पड़ सकते हैं। वहीं, विदेशी शराब की कीमतों में करीब 5% का इजाफा हुआ है।
गौर करने वाली बात ये है कि इस नई नीति में बार को थोड़ी राहत भी दी गई है। अब बार किसी भी तीन ऐसी शराब की दुकानों से शराब खरीद सकते हैं जिनके पास L-2 रिटेल वेंड लाइसेंस है। पहले सिर्फ दो नजदीकी दुकानों से ही ले सकते थे। साथ ही, ये नीति ये भी सुनिश्चित करती है कि कोई भी दुकान वाला सरकारी तय की गई न्यूनतम कीमत से 10% से ज्यादा ना वसूल सकें। आखिर में, ये नीति अधिकतम 2400 L-2/ L-14A (रिटेल लाइसेंस) वाली दुकानों को खोलने की इजाजत देती है।