कई साल की सुस्त वृद्धि और राज्यों की धीमी प्रतिक्रिया के बाद स्मार्ट मीटर इन्फ्रास्ट्रक्चर गति पकड़ रहा है। इस साल कई राज्यों में 15 करोड़ मीटरों की टेंडर की प्रक्रिया विभिन्न चरणो में है। केंद्र सरकार ने 2025 तक देश में 25 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसमें अब उद्योग की रुचि भी बढ़ी है। इन टेंडरों में ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख कारोबारियों से लेकर प्रमुख मीटर विनिर्माता हिस्सा ले रहे हैं।
इस समय देश में करीब 70 लाख स्मार्ट मीटर लगे हुए हैं। उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निविदा के विभिन्न चरणों में चल रही प्रक्रिया के तहत 17 करोड़ मीटरों में से एल-1 या बोली हासिल करने वालों को करीब 8 करोड़ मीटरों के लिए बोली मिली है।
बड़े टेंडरों में से अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस ने हाल ही में 1.1 करोड़ मीटर लगाने के लिए 13,000 करोड़ रुपये की बोली हासिल की है, जो महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एमएसई़ीसीएल) के विभिन्न जोन में लगाए जाएंगे।
जीएमआर स्मार्ट मीटरिंग ने हाल में उत्तर प्रदेश में 75 लाख स्मार्ट मीटर लगाने के लिए बोली हासिल की है। इसी तरह इंटेलीस्मार्ट, जो एनआईआईएफऔर सरकारी कंपनी ईईएसएल का संयुक्त उद्यम है, को उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में 60 लाख मीटर लगाने के लिए बोली मिली है। टाटा पावर को छत्तीसगढ़ में 18 लाख मीटर लाने के लिए बोली मिली है।
देश में मीटर बनाने वाली बड़ी कंपनियों में से एक जेनस पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर इस महीने की शुरुआत में 2 लेटर आफ अवार्ड हासिल किया है, जो 3,115.01 करोड़ रुपये का है। कंपनी को 34 लाख स्मार्ट मीटर लगाने हैं।
इस साल अप्रैल में सिक्टोर मीटर्स ने कहा था कि एयरटेल की साझेदारी मे वह बिहार में 13 लाख मीटर लगाएगी।
राज्यों में स्मार्ट मीटर की निविदा को गति मिलने की वजह केंद्र सरकार की बिजली वितरण सुधार योजना है। सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपये का रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएएस) लागू की है, जिसका मकसद परिचालन संबंधी कुशलता में सुधार करना और सरकारों के डिस्कॉम व बिजली विभाग को वित्तीय सततता प्रदान करना है। इसके लिए उन्हें सशर्त वित्तीय सहायता मुहैया कराई जा रही है।
इस योजना के तहत आवंटित 3,03,758 करोड़ रुपये में से 10,000 करोड़ रुपये देश भर में स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग इन्फ्रास्ट्रक्टर के लिए आवंटित किया गया है।