प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
बेंगलूरु-चेन्नई राजमार्ग पर तमिलनाडु की राजधानी से 50 किलोमीटर दूर सड़क के बीच में बने मंदिर के कारण रास्ता दो भागों में बंट जाता है। यहां सड़क के बाईं तरफ दुकानें और शोरूम बने हैं। यहीं हीरो मोटोकॉर्प के शोरूम और खाना पकाने के बर्तन किराए पर देने वाली दुकान के बीच एक छोटी लेकिन गंदी सी इमारत है जिस पर ताला लगा है।
सिंगुवरचत्रम शहर के किनारे स्थित यह साधारण दो कमरों वाली इमारत चेन्नई स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स की विनिर्माण इकाई है। पिछले कुछ दिनों से यहां मीडिया कर्मियों, जांच अधिकारियों और पुलिस की हलचल है। यही वह जगह है जहां फार्मा कंपनी ने अपना कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे पीने से मध्य प्रदेश में कई बच्चों की जान चली गई। कितने दूषित वातावरण में दवा तैयार की गई, यह जानने के लिए किसी को इस गंदी इमारत में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं है। बाहर से हालात देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कफ सिरप बनाने में कितनी लापरवाही बरती गई।
इकाई के बाहर फैली गंदगी इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि यहां जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों ने न जाने कब से निरीक्षण नहीं किया। चारों ओर सॉर्बिटोल के कई खाली डिब्बे बिखरे हुए थे, जो दवाओं और ओरल केयर उत्पादों में स्वीटनर, स्टेबलाइजर और नमी बनाए रखने वाले एजेंट के रूप में उपयोग किया जाने वाला एक सामान्य घटक है।
छोटे दरवाजे की ग्रिल पर राज्य दवा नियामक ने एक नोटिस चिपकाया है, जिसमें कहा गया है कि ‘इकाई से परीक्षण किए गए नमूने मिलावटी थे और इसमें 48.6 प्रतिशत डाइएथिलीन ग्लाइकोल है, जो एक जहरीला पदार्थ है। यह सामग्री को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बना सकता है।’ डीईजी से गुर्दे खराब हो सकते हैं, तंत्रिका संबंधी दिक्कत पेश आ सकती है। खासकर बच्चों के लिए यह घातक हो सकता है।
चेन्नई में एक वरिष्ठ दवा निरीक्षक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उसके सभी उत्पादों की जांच की जा रही है। अधिकारी ने कहा, ‘घटना के बाद डीईजी वाले उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कंपनी को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है।’
पास ही स्थित हीरो मोटोकॉर्प के शोरूम में भारती आर ने कहा, ‘हमें यह भी पता नहीं था कि वे इस इकाई में क्या बना रहे हैं। हालांकि, पिछले पांच दिनों से यहां पूरी तरह अफरा-तफरी का माहौल है।’ नोटिस में कहा गया है कि फर्म को बाजार से अपनी दवा वापस मंगानी होगी। वापस आने वाली दवा का पूरा विवरण जांच अधिकारियों को देना होगा।
तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने कहा है कि कंपनी ने उन नियमों का पालन नहीं किया जिनके अनुसार ‘फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन का उपयोग चार साल से कम उम्र के बच्चों में नहीं किए जाने की बात स्पष्ट रूप से कही गई है। बताया जा रहा है कि विभाग को विभिन्न इकाइयों में नियमों के उल्लंघन के 364 से अधिक मामले मिले हैं।
महाराष्ट्र में स्थानीय खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कहा कि वे नियमित रूप से फार्मा इकाइयों का निरीक्षण करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि घातक हादसे का कारण बताई जा रही कोल्ड्रिफ राज्य में नहीं बेची जाती है।
महाराष्ट्र एफडीए के संयुक्त आयुक्त (ड्रग्स) डीआर गहाने ने कहा, ‘नियामक अधिकारियों को नियमित रूप से विनिर्माण इकाइयों का निरीक्षण करना चाहिए। गुणवत्ता के अनुपालन को सुनिश्चित करने का यही एकमात्र तरीका है। विशेष रूप से एक रासायनिक या एक्ससिपिएंट के मामले में जहां फार्मा और औद्योगिक ग्रेड दोनों उत्पाद उपलब्ध हैं, विनिर्माण इकाइयों को गुणवत्ता जांच और लैब परीक्षण करने की आवश्यकता है। यदि नियमित ऑडिट होता है, तो ऐसी शिकायतों से निपटा जा सकता है।’ गहाने ने कहा, ‘महाराष्ट्र में 890 एलोपैथिक दवा निर्माण इकाइयां हैं। हम हर साल एक-एक का निरीक्षण करते हैं।’ अधिकांश राज्यों में कुशल निरीक्षकों की कमी नियामक एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती है। महाराष्ट्र में दवा निरीक्षकों के 200 स्वीकृत पद हैं, लेकिन उनमें से केवल 45 ही भरे हैं। राज्य लोक सेवा आयोग ने 109 दवा निरीक्षक पदों के लिए विज्ञापन दिया है, जिन्हें जल्द ही भरा जाएगा।
केरल ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित सभी दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बीते सोमवार को आदेश दिया कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को डॉक्टर के पर्चे के बिना कोई दवा नहीं दी जानी चाहिए। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा, ‘चूंकि बच्चों के लिए दवाएं उनके शरीर के वजन के अनुसार निर्धारित की जाती हैं, इसलिए एक बच्चे को दी जाने वाली दवा दूसरे बच्चे को नहीं दी जानी चाहिए। ऐसा करने से बड़ा नुकसान हो सकता है।’
गुजरात एफडीए ने भी दो कफ सिरप रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ में तय सीमा से अधिक डीईजी पाए जाने पर चेतावनी जारी की है। केमिस्टों को भी अलर्ट कर दिया गया है। लगभग 10 लाख केमिस्टों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स ऐंड ड्रगिस्ट्स ने सभी फार्मा निर्माण और विपणन कंपनियों को कफ सिरप के लिए लेबलिंग मानदंडों का पालन करने के लिए कहा है। संस्था के अध्यक्ष जेएस शिंदे और महासचिव राजीव सिंघल द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि कफ सिरप के लेबलिंग के आसपास स्पष्ट केंद्रीय दिशानिर्देशों के बावजूद बाजार में मौजूद कई बैच में 4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस दवा के उपयोग पर प्रतिबंध संबंधी चेतावनी या तो गायब है या प्रमुखता से प्रदर्शित नहीं की गई है।
सिंगुवरचत्रम में शादी-समारोहों में किराए पर बर्तन देने वाले श्री बाला विनायगम ट्रेडर्स के टी कमल ने अपने कार्यालय से सटी दवा इकाई की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘उनके पास लगभग 10-15 कर्मचारी थे। पिछली बार मैंने इकाई में कुछ गतिविधि देखी थी वह आयुध पूजा के दिन थी।’ नवरात्र के हिस्से के रूप में वह दिन मशीनों और काम के अन्य उपकरणों की पूजा करने का अवसर होता है।