कीमतों के दबाव और अन्य कारणों से लंबे समय तक दबाव में रहने के बाद भारतीय सीमेंट उद्योग का प्रदर्शन अब बेहतर रहने की उम्मीद है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा और कारोबार के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल से निपटने एवं कारोबारी मानकों पर खरा उतरने के लिए कंक्रीट और उससे जुटे उद्योग मिलकर रणनीति बनाने में सहमत है।
इंफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया ने मुंबई में वर्ल्ड ऑफ कंक्रीट इंडिया 2024 का आयोजन किया, जिसमें देश-विदेश की कंपनियाँ शामिल हुईं। इस तीन दिवसीय कंक्रीट प्रदर्शनी में जर्मनी, इटली, यूएसए, कुवैत, दक्षिण कोरिया, फिनलैंड और जापान जैसे देशों के 15,000 से अधिक कारोबारी और 300 कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
इस प्रदर्शनी में रिलायंस, अदाणी सीमेंट, एशियन पेंट्स, अम्मान, आर्डेक्स एंडुरा, थर्मैक्स, होंडा इंडिया, जेडेक्स इंडस्ट्रीज, मैपी, एमवाईके आर्मेंट और अल्ट्राटेक जैसी कई प्रमुख कंपनियाँ भी शामिल थीं।
वर्ल्ड ऑफ कंक्रीट इंडिया कंक्रीट, निर्माण और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र के सभी हितधारकों के लिए नेटवर्क बनाने और नई तकनीकों के समाधान खोजने का एक मंच है। इन्फॉर्मा मार्केट्स इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास ने कहा कि भारत की बुनियादी ढांचे को मजबूत करने वाली नीतियों के कारण यह कंक्रीट और सीमेंट क्षेत्र का प्रमुख बाजार बन गया है।
इस साल निर्माण उद्योग का आकार 25.31 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, और अगले पांच साल में इस उद्योग की विकास दर 9.6 फीसदी रहने का अनुमान है। यह वृद्धि सीमेंट, स्टील और रियल एस्टेट जैसे कई संबंधित उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। आवास बाजार के तेजी से बढ़ने और सरकार की लगातार बुनियादी ढांचे की पहलों ने पिछले कुछ वर्षों में निर्माण उद्योग को काफी आगे बढ़ाया है।
बीएमसी के चीफ इंजीनियर विशाल तमारे ने कहा कि मुंबई की भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हम अपनी नीतियों और तकनीकों में हमेशा सुधार करते रहते हैं। इस तरह की प्रदर्शनियों में हमें कुछ नया सीखने को मिलता है, जिसे हम मुंबई के विकास में उपयोग करते हैं।
उन्होंने कहा कि बीएमसी मुंबई को गड्ढा मुक्त करके रहेगी। इसके लिए इस बार बारिश के मौसम में मास्टिक अस्फाल्ट और जियो पॉलिमर तकनीक का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया गया है।
यह तकनीक सड़कों को जल्दी खराब नहीं होने देती और लागत भी कम होती है। जियो पॉलिमर कंक्रीट तकनीक से गड्ढे में पूरी सतह को हटाए बिना इसे भरा जाता है, और इसे सीमेंट कंक्रीट के साथ मिलाया जाता है। वहीं, मास्टिक अस्फाल्ट तकनीक में छोटे दाने होते हैं, जो सड़कों को टूटने से बचाते हैं।
इस समय 3डी प्रिंटिंग और निर्माण सॉफ्टवेयर की मांग बढ़ रही है, लेकिन उद्योग को इस बारे में जानकारी कम है। जब सभी कंपनियों के उत्पाद एक मंच पर आते हैं, तो विकल्प की कमी खत्म हो जाती है।
भारतीय सीमेंट उद्योग में 600 मिलियन टन की स्थापित सीमेंट क्षमता है, और 2022-23 में इसने 391 मिलियन टन सीमेंट का उत्पादन किया, जिससे यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग बन गया है।
सीमेंट और कंक्रीट उद्योग ने उत्सर्जन को कम करने और समाप्त करने के लिए नए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। ग्लोबल सीमेंट और कंक्रीट एसोसिएशन (जीसीसीए) के अनुसार, 2020 के स्तर की तुलना में 2030 तक प्रति मीट्रिक टन सीमेंट में 20 प्रतिशत और प्रति घन मीटर कंक्रीट में 25 प्रतिशत सीओटू को कम करने का लक्ष्य है।