उद्योग

BS Manthan आज से शुरू, भारत की वैश्विक स्थिति पर ‘मंथन’ करेंगे टॉप लीडर

बिज़नेस स्टैंडर्ड के दो दिवसीय सालाना सम्मेलन ‘मंथन’ में सरकार, नीति-निर्माण और उद्योग जगत की कुछ सबसे प्रभावशाली हस्तियां एक मंच पर आएंगी।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- February 27, 2025 | 6:56 AM IST

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था भारत के पास अवसरों का अंबार है मगर इसके सामने बड़ी चुनौतियां भी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, कई देशों की संरक्षणवादी नीतियां और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों पर अनिश्चितता देश की आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति को और भी पेचीदा बना रही हैं। राजधानी नई दिल्ली के ताज पैलेस में 27 फरवरी से शुरू हो रहे बिज़नेस स्टैंडर्ड के वार्षिक सम्मेलन ‘मंथन’ में ये ज्वलंत मुद्दे चर्चा के केंद्र में रहेंगे। मंथन का यह दूसरा वर्ष है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड के प्रकाशन के 50 वर्ष पूरे होने के साथ ही आयोजित दो दिन का यह कार्यक्रम सरकार, नीति-निर्माण और उद्योग जगत की सबसे प्रभावशाली हस्तियों को एक मंच पर लाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार की सुबह सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी और मुख्य भाषण देंगी। फायरसाइड चैट के दौरान वह विश्व व्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका और जरूरी रणनीतियों पर चर्चा करेंगी।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव दुनिया भर में हो रहे बदलाव के बीच भारत के जलवायु संबंधी संकल्प और नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्यों पर चर्चा करेंगे। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय रेल और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव शुक्रवार को सेमीकंडक्टर उत्पादन से रेलवे के विस्तार तक भारत की विस्तृत यात्रा पर प्रकाश डालेंगे।

सम्मेलन के पहले दिन कई जानी-मानी हस्तियां शिरकत करेंगी, जिनमें प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा भी रहेंगे। अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों में भारत के लिए आगे बढ़ने की राह और तरीका क्या है, इस पर वह अपना नजरिया सामने रखेंगे। भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत दुनिया भर में चल रहे आर्थिक घटनाक्रम पर अपनी राय रखेंगे। बैंकिंग क्षेत्र के दिग्गज और कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक तथा निदेशक उदय कोटक देश की मौजूदा आर्थिक वृद्धि और चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।

जेफरीज में इक्विटी स्ट्रैटजी के ग्लोबल हेड क्रिस वुड विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बरअक्स भारत के बाजार की स्थिति खंगालेंगे। पूरे दिन नए आयाम दिखाने वाली पैनल चर्चाओं का सिलसिला भी चलता रहेगा। क्रिसिल, सेंटर फॉर सोशल ऐंड इकनॉमिक प्रोग्रेस, मशरिक और निप्पॉन म्युचुअल फंड के अग्रणी अर्थशास्त्री नई विश्व व्यवस्था में भारत के आर्थिक दृष्टिकोण में बदलाव पर विमर्श करेंगे। पूर्व नौसेना प्रमुख, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन और वाहन निर्माताओं के संगठन सायम के प्रेसिडेंट का पैनल ‘रक्षा और निजी क्षेत्र: सहयोग एवं समन्वय’ विषय पर चर्चा करेगा। कार्यक्रम का पहला दिन राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण के अध्यक्ष अजय भूषण पांडेय से चर्चा के साथ संपन्न होगा।

इसमें वह वित्तीय रिपोर्टिंग में नए आयामों पर विचार-विमर्श करेंगे। ‘मंथन’ के दूसरे दिन भारत के उभरते आर्थिक ढांचे पर रोचक चर्चा जारी रहेगी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी फायरसाइड चैट के दौरान विश्व व्यवस्था में भारत के बदलते रुतबे पर बात करेंगे और बाजार विशेषज्ञ समीर अरोड़ा 2025 में निवेश के बारे में चर्चा करेंगे। एचसीएल के सह-संस्थापक अजय चौधरी भारत की सेमीकंडक्टर महत्त्वाकांक्षा पर फायरसाइड चैट में हिस्सा लेंगे।

इसके अलावा ‘नौकरियों के भविष्य’ पर पैनल चर्चा में श्रम बाजार के बदलावों की पड़ताल की जाएगी। इसमें श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा के साथ अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की राधिका कपूर और भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष हिरण्यमय पांड्या रहेंगे। एक अन्य प्रमुख सत्र ‘न्यू इंडिया: द बिल्डिंग ब्लॉक’ में डिक्सन टेक्नोलॉजीज के अध्यक्ष सुनील वचानी, ब्लूस्मार्ट और जेनसोल के सह-संस्थापक पुनीत जग्गी, मैजिकपिन के सह-संस्थापक और सीईओ अंशु शर्मा तथा स्नैपडील के सीईओ अचिंत सेतिया जैसे प्रमुख उद्यमी विचार साझा करेंगे।

जलवायु परिवर्तन की तात्कालिकता को देखते हुए अक्षय ऊर्जा की भूमिका भी चर्चा होगी। अदाणी ग्रीन एनर्जी के सीईओ अमित सिंह, टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी के प्रबंध निदेशक और सीईओ दीपेश नंदा तथा सुजलॉन समूह के सह-संस्थापक एवं उपाध्यक्ष गिरीश तांती इस बात पर गहन चर्चा करेंगे कि क्या भारत खुद अक्षय ऊर्जा केंद्र के रूप में खुद को स्थापित कर सकता है।

देश की आर्थिक प्राथमिकताओं पर भी चर्चा होगी, जिसका विषय होगा ‘कृषि भारत की ताकत है या कमजोरी?’। कृषि लंबे समय से भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है जो खाद्य सुरक्षा और रोजगार दोनों प्रदान करती है। लेकिन क्या अब समय आ गया है कि भारत को अपना ध्यान बदलकर विनिर्माण पर पूरा जोर लगाना चाहिए? इस पर जाने-माने कृषि अर्थशास्त्री और नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक ग्रोथ के प्रोफेसर सीएससी शेखर और भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ चर्चा करेंगे।

भारत की अर्थव्यवस्था पर बात के दौरान लक्जरी पर शायद ही चर्चा होती है। चांद पर कदम रखने के बाद भारत को ऐसे देश के तौर पर अपनी पहचान बनाने के लिए क्या करना चाहिए, जहां से दुनिया भर को लुभाने वाले ब्रांड आते हों। बढ़ती अर्थव्यवस्था और महंगे उत्पादों के उपभोक्तों की बढ़ती संख्या के साथ क्या भारत खुद के विश्व प्रसिद्ध लक्जरी ब्रांड बना सकता है? हुबलो के सीईओ जूलियन टॉर्नेर इसी संभावना का पता उस सत्र में लगाएंगे, जिसका विषय होगा ‘क्या भारत अपना लुई वुतों बना सकता है?’

‘मंथन’ में दो दिन तक व्यावहारिक और रणनीतिक चर्चा का मंच मिलेगा और इससे निकले विचार तेजी से बदलती दुनिया में भारत के दृष्टिकोण को आकार देंगे। वक्ताओं की शानदार फेहरिस्त और महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा के साथ मंथन बदलती और पेचीदा विश्व व्यवस्था में भारत को आगे बढ़ने के गुर सुझाएगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ जुड़े रहें क्योंकि आपको यहीं मिलेगा कार्यक्रम का लाइव कवरेज और बारीक विश्लेषण।

First Published : February 26, 2025 | 11:20 PM IST