मौजूदा कंपनियों के तेजी से अपनी मौजूदगी का विस्तार करने से संगठित आभूषण बाजार जोर पकड़ रहा है। इसकी वजह बाजार का असंगठित जौहरियों से संगठित जौहरियों की ओर जाना है। भारतीय आभूषण बाजार अभी 6.7 लाख करोड़ रुपये का है जो साल 2030 तक 11 से 13 लाख करोड़ रुपये तक का हो जाएगा।
हालांकि टाइटन कंपनी 1990 के दशक की शुरुआत में इस बाजार में उतरने वाली पहली कंपनी थी। उद्योग के विशेषज्ञों और विश्लेषकों का कहना है कि अब इस क्षेत्र में संगठित भागीदरों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है और वे अपने स्टोरों की संख्या तेजी से बढ़ा रहे हैं।
आदित्य बिड़ला समूह इस कारवां में शामिल होने वाला और आभूषण क्षेत्र में प्रवेश करने वाल नवीनतम समूह है। यह समूह आभूषणों की खुदरा बिक्री वृद्धि में हिस्सेदारी हासिल करना चाहता है। समूह ने पिछले शुक्रवार को अपने Indriya Brands की शुरुआत का ऐलान किया है।
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने ब्रांड जारी करते समय कहा ‘अपने प्रभावशाली विस्तार के बावजूद यह उद्योग ऐतिहासिक रूप से काफी हद तक असंगठित रहा है। उद्योग का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अब भी असंगठित है। देशव्यापी स्तर के भागीदार केवल मुट्ठीभर हैं और सबसे बड़े देशव्यापी ब्रांड के पास केवल छह से सात प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है।’
उन्होंने कहा ‘असंगठित से संगठित क्षेत्रों की ओर चल रहे मूल्य हस्तांतरण, दमदार और भरोसेमंद ब्रांडों के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती प्राथमिकता तथा हमेशा चमकदार शादी-विवाह बाजार की वजह से आभूषण कारोबार में उतरना आकर्षक है। इन सभी से विकास के पर्याप्त विकास मिलते हैं।’ रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के वाइस-चेयरमैन कोलिन शाह ने कहा कि असंगठित से संगठित क्षेत्र की ओर यह बदलाव अगले पांच से सात साल के दौरान जारी रहेगा क्योंकि संगठित भागीदारों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।
शाह ने कहा, ‘पिछले दशक में हम संगठित बाजार की शून्य प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी से अब 35 प्रतिशत के आसपास तक पहुंच चुके हैं।’