फार्मारैक के आंकड़ों में कहा गया है कि भारतीय दवा बाजार (आईपीएम) ने सितंबर में मजबूत वृद्धि दर्ज की है। बाजार की कुल बिक्री सितंबर में 20,886 करोड़ रुपये तक पहुंच गई जो पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 7.3 प्रतिशत अधिक है।
मधुमेह-रोधी, हृदय और श्वसन संबंधी चिकित्साओं ने इस वृद्धि को रफ्तार दी। हृदय संबंधी दवाओं का मूल्य 13 प्रतिशत बढ़कर 2762 करोड़ रुपये हो गया जबकि मधुमेह-रोधी दवाओं की बिक्री 10 प्रतिशत बढ़कर 1889 करोड़ रुपये हो गई। इससे दीर्घावधि देखभाल चिकित्साओं की मजबूत मांग का पता चलता है। श्वसन संबंधी उपचारों की बिक्री में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई और बिक्री 1,703 करोड़ रुपये तक पहुंच गई जो इन्हेलर तथा इससे संबंधित दवाओं की बढ़ती जरूरत को दर्शाता है।
अन्य चिकित्सा सेगमेंट ने भी भारतीय दवा बाजार के प्रदर्शन में सकारात्मक योगदान दिया। एंटी-नियोप्लास्टिक दवाओं में 16 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि देखी गई, यूरोलॉजी दवाएं 14 प्रतिशत से अधिक बढ़ीं और वैक्सीन की मात्रा में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो क्रमशः 511 करोड़ रुपये, 371 करोड़ रुपये और 203 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इससे सभी स्पेशियल्टी और प्रीवेंटिव थेरेपी में मजबूत विस्तार का पता चलता है। गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल और पेन/एनाल्जेसिक जैसे खंडों में मामूली गिरावट आई। हालांकि समग्र मूल्य वृद्धि सकारात्मक रही, जो मुख्य रूप से मूल्य निर्धारण और प्रीमियम उत्पादों पर केंद्रित थी।
कंपनियों में सन फार्मा 8.4 प्रतिशत हिस्सेदारी और 8.8 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ बाजार में अग्रणी रही। उसके बाद एबट, मैनकाइंड, सिप्ला और एल्केम का स्थान रहा जिन्होंने क्रमशः 3.7 प्रतिशत, 4.7 प्रतिशत, 9.2 प्रतिशत और 9.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। शीर्ष 20 कंपनियों में मिश्रित रुझानों के बावजूद अधिकांश ने मूल्य में दो अंक की वृद्धि दर्ज की।