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भारतीय विमानन कंपनियों को प्रतिस्पर्धा से डरने की जरूरत नहीं : सीईओ, नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट

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अनीश फडणीस
Last Updated- March 22, 2023 | 10:03 PM IST

नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (NIA) के मुख्य कार्या​धिकारी (CEO) क्रिस्टोफ श्नेलमैन ने बुधवार को कापा इंडिया एविएशन सम्मेलन में कहा कि भारत में मजबूत, सफल और अच्छी गुणवत्ता वाली एयरलाइनें हैं, जिन्हें विदेशी विमानन कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा से भागने की जरूरत नहीं है।

श्नेलमैन ने अंतरराष्ट्रीय यातायात अ​धिकारों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही।

ओमान, कुवैत, तुर्की और यूएई जैसे देशों ने भारत से अ​तिरिक्त उड़ानों की अनुमति देने का अनुरोध किया है। नागर विमानन मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा समय में इन देशों के लिए यातायात अ​धिकारों में इजाफा नहीं किया जाएगा। भले ही इस तरह की पहल से भारतीय विमानन कंपनियों को लाभ होगा, लेकिन इससे उन हवाई अड्डों का विकास धीमा पड़ सकता है, जो यात्रियों और माल आवाजाही के लिए भारतीय और विदेशी एयरलाइनों, दोनों पर निर्भर रहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यातायात में वृद्धि देखना हमारे और सभी के हित में है।’

NIA के पहले चरण का निर्माण कार्य चल रहा है और इस हवाई अड्डे का परिचालन 2024 के अंत तक शुरू हो जाने की संभावना है। शुरू में, नोएडा हवाई अड्डे की सालाना क्षमता 1.2 करोड़ यात्रियों की होगी और मुख्य रूप से यह घरेलू एयरलाइनों की गतिवि​धियों का प्रबंधन करेगा। नोएडा हवाई अड्डा प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय यातायात आक​र्षित करने की भी संभावना तलाश रहा है।

नोएडा हवाई अड्डे ने अलग ‘पॉइंट ऑफ कॉल’ दर्जे की भी मांग की है। जब किसी हवाई अड्डे को हवाई सेवा समझौते में पॉइंट ऑफ कॉल के तौर पर निर्धारित किया जाता है तो इसका मतलब है कि विदेशी एयरलाइन इस पर उड़ानें संचालित कर सकती है। यह अनुमति ऐसे समझौतों के तहत निर्धारित उपलब्ध सीट संख्या से जुड़ी होती है।

श्नेलमैन ने कहा, ‘हम इसके लिए नागर विमानन मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिससे कि न सिर्फ घरेलू ब​ल्कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए भी अतिरिक्त क्षमता प्रदान की जा सके।’

First Published : March 22, 2023 | 8:41 PM IST