दूरसंचार उपकरण विनिर्माता एरिक्सन के वैश्विक मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) एरिक एकुडेन का कहना है कि 5जी पर आधारित फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (एफडब्ल्यूए) वाले घरों में भारत की वृद्धि अगले 10 से 12 वर्षों में वैश्विक स्तर पर फिक्स्ड नेटवर्क का मुख्य आधार होगी। उन्होंने कहा कि एफडब्ल्यूए वाले घरों की संख्या प्रति वर्ष 13 प्रतिशत से अधिक के वैश्विक औसत या उससे भी ज्यादा दर से बढ़ने की उम्मीद है।
एकुडेन ने कहा, ‘वर्तमान में दुनिया भर में 11 प्रतिशत परिवार फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस के लिए मोबाइल तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। अगले चार से पांच साल में यह संख्या 18 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है और 1.5 करोड़ परिवारों की संख्या भी बढ़कर 30 करोड़ परिवार हो जाएगी। मुझे विश्वास है कि अगर ज्यादा नहीं, तो भी भारत 13 प्रतिशत की वैश्विक औसत वृद्धि दर बनाए रखने में सक्षम होगा। अभी यह संख्या 87 लाख है और हमारा इसे 2030 तक 10 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है।’ उन्होंने बताया कि एफडब्ल्यूए का फायदा मोबाइल नेटवर्क के मौजूदा बुनियादी ढांचे का लाभ उठाने की इसकी क्षमता में है। आम तौर पर सेवाएं मिड-बैंड स्पेक्ट्रम पर दी जाती हैं और नेटवर्क स्लाइसिंग के साथ स्टैंडअलोन नेटवर्क का उपयोग करके उपयोगकर्ता मोबाइल सब्सक्रिप्शन की तुलना में 15 से 20 गुना ज्यादा डेटा का उपभोग कर सकते हैं। एकुडेन ने कहा कि कालांतर में बढ़ती क्षमता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एफडब्ल्यूए के लिए मिलीमीटर-वेव स्पेक्ट्रम पेश किया जाएगा, जैसा कि वैश्विक स्तर पर देखा रहा है।
Also Read: NITI Aayog ने टैक्स कानूनों में सुधार की सिफारिश की, कहा: आपराधिक मामलों को 35 से घटाकर 6 किया जाए
उन्होंने तर्क दिया कि फाइबर के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करता बल्कि उसका पूरक है। उन्होंने कहा, ‘एफडब्ल्यूए आकर्षक विकल्प देता है। अमेरिका में 85 से 90 प्रतिशत नए फिक्स्ड सब्सक्रिप्शन मोबाइल आधारित हैं। अगले 5 से 10 वर्षों में किसी भी देश में, चाहे वह फाइबर वाला हो या नहीं, फिक्स्ड लोकेशन को जोड़ने के लिए यह महत्त्वपूर्ण समाधान होगा।’
रे-बैन मेटा स्मार्ट ग्लास की वैश्विक और भारतीय शुरुआत के संबंध में उत्साह के बावजूद एरिक्सन का मानना है कि ऐसे उपकरणों की पूरी क्षमता 5जी के साथ नहीं, बल्कि 6जी के आगमन पर ही साकार होगी।
एकुडेन ने कहा कि स्मार्ट ग्लास क्रांति 5जी एडवांस्ड के साथ शुरू होगी, लेकिन इसके इस्तेमाल की केवल 20 से 40 प्रतिशत दर भी नेटवर्क पर, खास तौर पर अपलिंक के मामले में भारी दबाव डाल देगी, जिसके लिए आज की तुलना में 10 गुना अधिक अपलिंक ट्रैफिक को संभालने की जरूरत पड़ेगी।