स्थानीय प्रशासन के टकराव के बावजूद चीनी स्मार्टफोन ब्रांड के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के आंकड़े भारत में इन कंपनियों के दमदार प्रदर्शन को दर्शाते हैं। चीन के प्रमुख स्मार्टफोन ब्रांड ओपो ने भारत में अपनी वैश्विक स्मार्टफोन बिक्री हिस्सेदारी साल 2023 के 31 फीसदी से बढ़ा इस साल की तीसरी तिमाही तक 36 फीसदी कर दी है।
बीबीके इलेक्ट्रॉनिक्स के तहत आने वाली इसकी साथी वीवो की भारत में हिस्सेदारी 58 फीसदी पर बरकरार है। दोनों ब्रांडों को भारत में कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ा है और इसमें कर चोरी और धनशोधन के आरोपों पर साल 2022 में प्रवर्तन निदेशालय और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआर आई) की जांच शामिल है। पिछले साल के अंत में वीवो के एक वरिष्ठ अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद स्थिति और गंभीर हो गई।
एक अन्य चीनी स्मार्टफोन कंपनी श्याओमी को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा।साल 2022 में उसे 653 करोड़ रुपये के आयात शुल्क चोरी का नोटिस मिला था। उसके साथ साल 2023 में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत प्राधिकरण ने उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
साल 2023 में श्याओमी की वैश्विक बिक्री में भारतीय बाजार की 23 फीसदी हिस्सेदारी थी, लेकिन इस साल की तीसरी तिमाही में यह संख्या मामूली रूप से कम होकर 22 फीसदी रह गई है। बीबीके की सहायक कंपनी वनप्लस ने भारत को अपने सबसे महत्त्वपूर्ण वैश्विक बाजार के तौर पर स्थापित किया है और साल 2023 में इसकी वैश्विक बिक्री में भारत का हिस्सा 79 फीसदी था। हालांकि, इस साल सितंबर तक यह थोड़ा कम होकर 76 फीसदी हो गया है मगर ब्रांड का भारतीय बाजार पर ध्यान कम नहीं हुआ है।
वनप्लस की सहायक कंपनी रियलमी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। इसकी वैश्विक हिस्सेदारी साल 2023 की 46 फीसदी से कम होकर इस साल सितंबर तक 37 फीसदी रह गई है क्योंकि कंपनी अब यूरोप, लैटिन अमेरिका और पश्चिम एशिया में अपने विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
इसके विपरीत, काउंटरपॉइंट रिसर्च के आंकड़े दर्शाते हैं कि, पश्चिम एशिया और अफ्रीका को साधने वाली ट्रांजियन की वैश्विक बिक्री में भारत की हिस्सेदारी 10 से 15 फीसदी है। उल्लेखनीय है कि सभी चीनी ब्रांड भारत में पकड़ मजबूत नहीं कर पाए हैं। उदाहरण के लिए, हुआवे और ऑनर की पकड़ अभी मजबूत नहीं हो पाई है।
चीन भी इनमें से कई स्मार्टफोन कंपनियों के लिए बड़ा बाजार बना हुआ है। साल 2024 की पहली छमाही के तक वीवो की 52 फीसदी और ओपो की 42 फीसदी मात्रा घरेलू बाजार से ही आई, जबकि श्याओमी के लिए यह सिर्फ 25 फीसदी था। भारत इसलिए भी मजबूत है क्योंकि यह चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन बाजार है।
चीनी ब्रांडों ने दुनिया के तीसरे सबसे बड़े बाजार अमेरिका में अपनी सफलता दोहराने के लिए संघर्ष किया है। काउंटरप्वाइंट रिसर्च के विश्लेषक अंकुर मल्होत्रा ने कहा, ‘चीनी ब्रांडों पर सरकार की नजर है मगर इन ब्रांडों पर ग्राहकों की धारणा पिछले दो से तीन वर्षों से स्थिर है। चीनी ब्रांड अप भारत के स्मार्टफोन बाजार के करीब तीन चौथाई हिस्से पर नियंत्रण रखते हैं, जिससे ग्राहकों के पास विकल्प कम रह गए हैं।’