हिंदुस्तान जिंक के लिए दिसंबर 23 में समाप्त हुई तिमाही (वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही) के दौरान चांदी की बिक्री में इजाफा देखा गया है, क्योंकि कंपनी ने अल्पकालिक रणनीति के रूप में अपने उत्पादन को प्राथमिकता दी थी। लंबी अवधि में कंपनी का लक्ष्य अगले दो से तीन साल के दौरान 1,000 टन उत्पादन क्षमता तक पहुंचने का है।
वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही में हिंदुस्तान जिंक की चांदी से संबंधित बिक्री एक साल पहले की तुलना में 44 प्रतिशत अधिक रही। इस श्रेणी से लाभ में भी लगभग 50 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई।
अपने परिणामों के विश्लेषण में हिंदुस्तान जिंक ने कहा कि कंपनी ने चांदी की अधिक कीमत का मौका भुनाने के लिए नौ महीने तक खनन की गई चांदी का रिकॉर्ड उत्पादन किया है। विश्लेषकों के साथ बैठक में हिंदुस्तान जिंक के प्रबंधन ने कहा कि वित्त वर्ष 24 में कंपनी के मुनाफे में चांदी कारोबार का हिस्सा अब 45 प्रतिशत से अधिक है, जबकि पिछले वर्ष यह 27 प्रतिशत था।
अलबत्ता कंपनी के मुख्य कार्य अधिकारी (CEO) अरुण मिश्रा ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में इसे अल्पकालिक रणनीति बताया। उन्होंने कहा कि मार्च 24 तिमाही में यह रुख बदलकर जस्ता उत्पादन की ओर हो जाएगा तथा चांदी का उत्पादन कम होगा।
चांदी की अधिक मांग पर टिप्पणी करते हुए मिश्रा ने कहा ‘तीसरी तिमाही में बहुत सारे पारंपरिक विवाह कार्यक्रम होते हैं। साथ ही सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, इससे भी उद्योग में मांग बढ़ रही है।’
वित्त वर्ष 24 की नौ महीने की अवधि के दौरान हिंदुस्तान जिंक में कंपनी का अब तक का सबसे अधिक 556 टन चांदी का उत्पादन देखा गया। वित्त वर्ष 23 में इसका वार्षिक चांदी उत्पादन 714 टन था, जिसने देश की कुल चांदी की मांग के लगभग 10 प्रतिशत भाग की आपूर्ति की। देश की अधिकांश मांग घरों से उत्पन्न होती है।