प्रमुख बीपीओ कंपनी जेनपेक्ट की मेघालय में केंद्र स्थापित करने की योजना है और कंपनी इस उद्देश्य से राज्य सरकार के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करेगी।
जेनपेक्ट का मेघालय में संभावित निवेश किसी बीपीओ कंपनी का पूर्वोत्तर में सबसे बड़ा निवेश होगा।
मेघालय के आईटी मंत्री आर जी लिंगदोह ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चुनाव आचार संहिता के चलते जेनपेक्ट के साथ समझौते की प्रक्रिया को रोक दिया गया था लेकिन अब इस पर फिर काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि समझौते पर पखवाड़े भर में हस्ताक्षर किये जा सकते हैं।ऐसी रपटें हैं कि टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज ने असम सरकार के साथ सहमति पत्र पर हस्तक्षार किए हैं और आईटी कंपनी सीमैंटेक ने भी इस उत्तर पूर्व में कदम रखने का इरादा कर लिया है। लिंगदोह ने कहा कि हर साल पूर्वोत्तर के हजारों युवा बाहर जाते हैं और अधिकतर आईटी सम्बध्द कंपनियों में रोजगार करते हैं जिनमें बीपीओ कंपनियां भी शामिल हैं।
क्षेत्र में बीपीओ केंद्रों की स्थापना इन युवाओं के लिए सुखद संकेत है। मेघालय में आईटी इस्टेट की स्थापना के लिए लगभग 150 एकड़ भूमि अलग रखी गई है। इसके अलावा शिलांग के बिजनेस हब में मुफ्त वाई-फाई कनेक्शन भी दिए जाएंगे।
लिंगदोह ने उम्मीद जताई की उत्तर पूर्व में बीपीओ कंपनियों के आने से प्रशिक्षण और परिचालन की लागत घटेगी। साथ ही कर्मचारियों को अपनी आमदनी में से बचत करने का मौका मिलेगा।
बीपीओ कंपनियों के इस क्षेत्र की ओर रुख करने के कई कारण हैं। जहां एक ओर लोगों की अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ है वहीं काम के प्रति उनका समर्पित रवैया बेहतर नतीजे देता है।
इस निवेश क ा असर व्यापक पैमाने पर होने की उम्मीद है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में रोजगार पैदा होने के साथ साथ बुनियादी ढांचा बेहतर होगा और आईटी को दूसरे उद्योगों में जान फूंकने के लिए एक इस्तेमाल किया जा सकेगा।
फिलहाल इस क्षेत्र के स्नातकों को देश के दूसरे हिस्सों में नौकरी के लिए बुलावा मिलता है क्योंकि कंपनियां असम, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों को तरजीह देती हैं।
पिछले कुछ सालों में बीपीओ कंपनी 24-7 कस्टमर ने उत्तर पूर्व से करीब 150 छात्रों को लिया जबकि एक मैवरिक सिस्टम्स ने इस क्षेत्र के एक विश्विद्यालय और चार इंजीनियरिंद कॉलेजों से 24 छात्रों को लिया था।
