कंपनियां

FMCG, ऑटो डेटा से पता चलता है कि वापस आ रही है ग्रामीण मांग: CII अध्यक्ष

Published by
अरूप रायचौधरी   
Last Updated- June 05, 2023 | 12:13 AM IST

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष आर दिनेश ने कहा कि तेज घरेलू मांग, कंपनियों व बैंक की बैलेंस शीट को देखते हुए वित्त वर्ष 23 में भारत की वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। अरूप रॉयचौधरी से बातचीत में दिनेश ने कहा कि वित्त वर्ष 23 में निजी क्षेत्र की निवेश प्रतिबद्धता पिछले साल की तुलना में 80 प्रतिशत ज्यादा थी, जो चालू वित्त वर्ष के लिए शुभ संकेत है। बातचीत के संपादित अंश…

वित्त वर्ष 23 में जीडीपी वृद्धि के अनुमान उत्साहजनक है। वित्त वर्ष 24 कैसा रहेगा?

हम वित्त वर्ष 24 में जीडीपी वृद्धि 6.5 से 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगा रहे हैं। हमारा मानना है कि अगर स्थिति थोड़ी नकारात्मक रहती है, तब भी 6.5 प्रतिशत हासिल किए जा सकने वाला लक्ष्य है। और 6.7 प्रतिशत वृद्धि दर का हमारा भरोसा है। अगर आप अनुकूल हवा को देखें तो पहला और सबसे अहम तथ्य यह है कि घरेलू मांग वापस आ गई है। दूसरा, कॉर्पोरेट के नजरिए से बैलेंस शीट बेहद मजबूत है, कर्ज कम है। बैंकों की बैलेंस शीट शानदार है। वृद्धि के लिए बैंकों की वित्तपोषण और उधारी जारी रखने की क्षमता है। इसके अलावा निवेश केंद्र के रूप में भारत पर ध्यान केंद्रित करना है। अगर हम वृहद आर्थिक संकेतकों की ओर देखें तो महंगाई जहां कम हो रही है, वैश्विक अनिश्चितता भी पहले की तरह गंभीर नहीं है। इस तरह से अगर यह सभी चीजें साथ होती हैं तो यह हमारे लिए लाभदायक होंगी। एकमात्र व्यवधान वैश्विक वजहें और मॉनसून है। लेकिन अगर आप इतिहास देखें तो यह जरूरी नहीं कि अलनीनो से वृद्धि में कमी आए। ऐसे में खराब स्थिति में भी 6.5 प्रतिशत और सामान्य रूप से 6.7 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है।

शहरी संकेतक बेहतर हैं, लेकिन ग्रामीण संकेतक शायद उतने अच्छे नहीं हैं। निजी खपत में वृद्धि भी तेज नहीं है। क्या हमारी रिकवरी के आकार की होगी?

पहले पीएमएस से निवेश की सीमा 5 लाख रुपये थी अगर आपने यह सवाल मुझसे फरवरी में पूछा होता तो शायद बहुत कठिन जवाब होता। अगर फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई में हुई गतिविधियों को देखें तो हमें लगातार ग्रामीण इलाकों में एफएमसीजी और यहां तक कि मई में वाहनों की मांग में तेजी नजर आती है। इन सबमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और यह ग्रामीण मांग की वजह से हुआ है। अगर इसे देखें तो अंग्रेजी के के आकार की रिकवरी की संभावना नहीं लगती।

निश्चित रूप से वैश्विक मंदी है और भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग नहीं है। भारत के निर्यात पर आप इसका कितना असर दिख रहा है?

यह हकीकत है। मेरा मतलब है कि स्वाभाविक रूप से पश्चिमी देशों से मांग और वृद्धि की दर कम रहने की संभावना है। लेकिन अगर आप देखें तो नियमित रूप से निवेश हो रहा है, भारत में निवेश करने वाले निर्यातक भी हैं। उनके पास तैयार बाजार है। उनके पास खरीद के लिए चयन का विकल्प है। साथ ही जैसा कि हम आज देख रहे हैं, आंकड़ों से पता चलता है कि नकारात्मक विपरीत परिस्थितियों में भी निर्यात बढ़ा है। मैं नहीं कह रहा कि बहुत उच्च वृद्धि दर रहेगी, लेकिन 6.5 से 6.7 प्रतिशत वृद्धि अनुमान में इसका ध्यान रखा है। हम इस साल निर्यात वृद्धि में कमी का अनुमान लगा रहे हैं, लेकिन संकुचन नहीं होगा।

जीडीपी के पिछले आंकड़े से पता चलता है कि निजी क्षेत्र का निवेश लौट रहा है। वित्त वर्ष 24 में निजी निवेश को लेकर आपको क्या उम्मीद है?

सभी क्षेत्रों में क्षमता का उपयोग हो रहा है। परिवहन सेवाओं, होटलों, उड्डयन आदि में यह 75 प्रतिशत से ऊपर है और कई होटलों के मामले में यह 80 प्रतिशत से ऊपर है। अगर सीमेंट, स्टील, मशीनरी, रसायन क्षेत्रों को देखें तो इनमें क्षमता उपयोग 80 प्रतिशत से ऊपर है। इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि पूंजीगत व्यय होगा, क्योंकि जब आप क्षमता उपयोग 75 प्रतिशत से पार करते हैं तो आपको नई क्षमता के लिए निवेश की जरूरत होती है।

क्या अगले लोकसभा चुनावों के पहले सरकार को निवेशकों या कारोबार के अनुकूल सुधार करना चाहिए?

मैं इसे निरंतर यात्रा के रूप में देखता हूं, न कि सुधार किए जाने की जरूरत के रूप में। क्योंकि ज्यादातर सुधारों की घोषणा पहले हो चुकी है। अगर आप मुझसे 2024 के पहले के बारे में पूछते हैं तो मुझे किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद नहीं है। मुझे लगता है कि
प्रतिबद्धताओं को लागू करने की जरूरत है।

First Published : June 5, 2023 | 12:13 AM IST