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एस्सार लगा सकती है यूनाइटेड कोल की बोली

Last Updated- December 07, 2022 | 2:04 PM IST

कच्चे माल की कमी से बचने के लिए इस्पात कंपनियों की कवायद तेज हो गई है। इसके लिए लगभग सभी इस्पात कंपनियां विदेशों में कोयले और खनिजों की खदानों के अधिग्रहण की कोशिशें कर रही हैं।


इससे भारतीय कंपनियों के बीच मुकाबला और कड़ा होता जा रहा है। अभी तक अमेरिकी कंपनी यूनाइटेड कोल इंडिया के लिए लगने वाली बोली में भारत से सिर्फ जेएसडब्ल्यू स्टील ही हिस्सा ले रही थी। लेकिन अब इस बोली में एस्सार स्टील भी शामिल हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो इस कंपनी के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों की संख्या बढ़कर आठ हो जाएगी।

एस्सार के प्रवक्ता ने कहा, ‘एक समूह होने के नाते हम अपने क्षेत्र में विकास की सभी संभावनाओं का लाभ उठाना चाहेंगे। हालांकि हम किसी खास परियोजना के बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं।’ अभी इस बोली में शामिल होने की आखिरी तारीख नहीं आई है इसीलिए एस्सार उससे पहले इस बोली में शामिल होने की योजना बना रही है। जेएसडब्लयू स्टील को अगस्त के अंत तक इस करार के हो जाने की उम्मीद है।

उत्तरी अमेरिका की कंपनी युनाईटेड कोल के पास 16.5 करोड़ टन से भी ज्यादा कोयले का भंडार हैं। कोयले की बढ़ती कीमतों के कारण सभी कंपनियां कच्चे माल के निजी भंडार रखने पर ज्यादा जोर दे रही हैं। उद्योग सूत्रों के मुताबिक एस्सार के लिए करार ज्यादा महत्वपूर्ण हैं क्योंकि कंपनी उत्तरी अमेरिका में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। साल 2007 में एस्सार ने मिनेसोटा स्टील का अधिग्रहण किया था। मिनेसोटा के पास लगभग 140 करोड़ टन कोयले के भंडार हैं। इसके साथ ही कंपनी ने कनाडा में 40 लाख टन इस्पात क्षमता वाली अल्गोमा स्टील का भी अधिग्रहण किया था।

हालांकि कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता को 46 लाख टन से बढ़ाकर 90 लाख टन करने की योजना भी बना रही है। इसके लिए कंपनी ब्लास्ट फर्नेस संयंत्र लगाएगी जिसके लिए कंपनी को कोकिंग कोल की जरूरत होगी। इसके अलावा एस्सार त्रिनिडाड और टोबैगो, वियतनाम और पूर्वी भारत में भी संयंत्र लगाने की योजना बना रही है। साल 2012 तक कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 2-2.5 करोड़ टन करने की है।

First Published - July 30, 2008 | 11:51 PM IST

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