सरकारी कंपनी कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) खनन उद्योग के दरवाजे बंद होने के बाद अब पर्यटन के कारोबार में किस्मत आजमाने की तैयारी कर रही है।
इस कंपनी को दिसंबर 2005 में एक अदालती आदेश के बाद कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में स्थित कुद्रेमुख में खनन का काम बंद करना पड़ा था। अब कंपनी अपने बंद पड़े बंगलों, स्टाफ क्वार्टरों और गेस्ट हाउसों को ईको-टूरिज्म रिजॉर्ट में तब्दील करने की योजना बना रही है।
कंपनी ने ईको-टूरिज्म की सुविधाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने में पर्याप्त अनुभव रखने वाले सलाहकारों से इस संबंध में आशय पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए हैं। ये कंसल्टेंट स्वास्थ्य, मनोरंजन, सेमिनार, एडवेंचर, शिक्षा, बागवानी, कृषि जैसे ईको-टूरिज्म क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं। केआईओसीएल के अधिकारियों के मुताबिक कंपनी ने इच्छुक पर्यटन कंपनियों को अपने प्रस्ताव भेजने के लिए 30 दिन की समय-सीमा तय की है।
मंगलोर से 110 किलोमीटर दूर कुद्रेमुख में कंपनी के पास 49 बंगले, 35 कमरों वाला गेस्ट हाउस, 50 शैया वाला अस्पताल और कई स्टाफ क्वार्टर हैं। कंपनी की ओर से खनन गतिविधियां बंद किए जाने के बाद इनमें से अधिकांश परिसंपत्तियां बेकार पड़ी हुई हैं। अधिकारियों के मुताबिक इन परिसंपत्तियों को सही हालत में रखने के अलावा इससे कुछ पैसा कमाने के उद्देश्य से कंपनी ने इन्हें ईको-टूरिज्म रिजॉर्टों में तब्दील करने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया, ‘विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार हो जाने के बाद हम यह तय करेंगे कि हमें पर्यटन गतिविधियों के लिए कैसे और कितना निवेश करना है। परियोजना रिपोर्ट तकरीबन 6 महीने में तैयार हो जाएगी।’ केआईओसीएल ने इस परियोजना के लिए कर्नाटक सरकार के स्वामित्व वाले जंगल लॉजेज ऐंड रिजॉट्र्स (जेएलआर) से भागीदारी करने की भी इच्छा जताई है। जेएलआर को कर्नाटक में ईको-टूरिज्म में 25 वर्षों का अच्छा खासा तजुर्बा है।
कंपनी के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम इस बारे में जेएलआर के साथ पहले ही बातचीत कर चुके हैं। हम अपनी संपत्ति के प्रबंधन के लिए जेएलआर के साथ एक संयुक्त उपक्रम तैयार करना चाहते हैं। डीपीआर के तैयार हो जाने के बाद हम इस सौदे को अंतिम रूप देंगे।’
कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी के पास तकरीबन 1200 हेक्टेयर की भूमि है। यह भूमि पश्चिमी घाट क्षेत्र में एक राष्ट्रीय उद्यान से संबद्ध है। फिलहाल वन विभाग ने इस उद्यान में ट्रेकिंग की अनुमति दे रखी है। कंपनी ट्रेकिंग को बढ़ावा देने, भ्रमणकारी पक्षियों के दर्शन समेत अन्य ईको-टूरिज्म गतिविधियों के लिए अपनी परिसंपत्तियों को विकसित करना चाहती है।
अधिकारियों के मुताबिक कंपनी कुद्रेमुख में एक आयुर्वेदिक स्पा स्थापित करने की भी योजना बना रही है। कंपनी ने इस स्पा की स्थापना के लिए कई आयुर्वेदिक रिजॉर्टों के साथ बातचीत की है। कंपनी कुद्रेमुख में एक हर्बल गार्डन पहले ही विकसित कर चुकी है जहां औषधीय पौधे उगाए जाते हैं।
अधिकारियों ने बताया, ‘हम इन ईको-टूरिज्म रिजॉर्टों को चलाने के लिए या तो एक संयुक्त उपक्रम या फिर एक स्वतंत्र उपक्रम स्थापित करेंगे। हम कर्नाटक सरकार के साथ समझौता करेंगे जिसके तहत पर्यटकों को संरक्षित राष्ट्रीय उद्यान में ट्रेकिंग की अनुमति होगी।’