एयर इंडिया के कर्मचारी संघों ने विमान कंपनी का अधिग्रहण करने के फैसले का स्वागत करते हुए टाटा संस के सेवानिवृत्त चेयरमैन रतन टाटा को पत्र लिखा है और उन्हें इसकी कायापटल के प्रयासों में सहायता करने का आश्वासन दिया है।
हालांकि स्वामित्व में परिवर्तन को लेकर उत्साह नजर आ रहा है, लेकिन कर्मचारियों के बीच विशेष रूप से बकाया, वेतन कटौती, कर्मचारियों के आवास के संबंध में चिंताएं भी हैं। ग्राउंड हैंडलिंग और इंजीनियरिंग क्षेत्र की सहायक कंपनियों के कर्मचारी भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या नया मालिक उन्हें चिकित्सा और यात्रा-टिकट का लाभ (मुफ्त टिकट) प्रदान करना जारी रखेगा या नहीं।
ऑल इंडिया केबिन क्रू एसोसिएशन के महासचिव संजय लाजार ने अपने पत्र में लिखा है ‘एयर इंडिया के पितामह और हमारे प्रिय संस्थापक स्वर्गीय जेआरडी टाटा हमारे सभी कर्मचारियों के बीच और हमारे सभी कार्यालयों में श्रद्धेय और पूजनीय हैं। हम टाटा समूह के एक हिस्से के रूप में और पूरे टाटा परिवार के साथ मिलकर काम करने को लेकर पूरे एयर इंडिया परिवार के लिए पारस्परिक रूप से उज्ज्वल भविष्य की आशा करते हैं।’
एयर इंडिया कर्मचारी संघ के महासचिव पराग अजगांवकर ने भी सहयोग सुनिश्चित करते हुए ऐसा ही भाव व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा है कि यह अधिग्रहण न केवल हमारे लिए, बल्कि एयर इंडिया के उन कर्मचारियों के लिए भी भावनात्मक मूल्य वाला है, जो सर जेआरडी टाटा के प्रति ऐसी विमान कंपनी बनाने के लिए हमेशा आभारी रहे हैं, जो आज हमारी रोजी-रोटी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ‘हम राहत की सांस ले सकते हैं। विमान कंपनी में कम से कम स्थिरता तो रहेगी ही।’ इस बात की कुछ उम्मीद है कि निजी स्वामित्व के साथ वेतन भुगतान की अनिश्चितता नहीं होगी। लेकिन कर्मचारी संघ इस बात को लेकर भी सावधान हैं कि विमान कंपनी का कायापलट करने के लिए टाटा द्वारा कुछ कठोर फैसले किए जा सकते हैं, लेकिन फिर भी टाटा को दूसरों की तुलना में बेहतर नियोक्ता के रूप में देखा जाता है। एक कर्मचारी ने कहा कि टाटा के बारे में एक अलग ही भावना है।
लेकिन तब भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सरकार ने एयर इंडिया के कर्मचारियों को 1,200 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान करने की प्रतिबद्धता जताई है और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए चिकित्सा लाभ की देखभाल करने के लिए भी सहमत हुई है।
कर्मचारी चाहते हैं कि बकाया भुगतान एक बार में ही कर दिया जाए और सरकार द्वारा किए जा रहे 1,200 करोड़ रुपये के ब्रेकअप के वादे की मांग की जा रही है। नया घर खोजना भी कई लोगों के लिए चिंता का विषय रहेगा, क्योंकि कर्मचारियों को इस सौदे की तारीख के बाद छह महीने में स्टाफ क्वार्टर खाली करना है। एक कर्मचारी ने बताया ‘कुछ कर्मचारियों ने अपना खुद का आवास किराए पर लिया था और कोविड-19 के दौरान कुछ अतिरिक्तआय अर्जित करने के लिए कॉलोनी में स्थानांतरित हो गए थे और अब उन्हें चिंता सता रही है।’
इंडियन कॉमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन और इंडियन पायलट्स गिल्ड ने भी प्रबंधन से पिछले साल शुरू की गई वेतन कटौती रद्द करने की मांग की है।
