आईटी: ग्राहकों से मिल रहे कर्मचारी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:22 AM IST

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान आईटी क्षेत्र में ग्राहकों के कर्मचारियों की रीबैजिंग के साथ बड़े सौदों की वापसी होती दिखी क्योंकि आईटी कंपनियों ने कमजोर मांग के बीच राजस्व जुटाने की पुरजोर कोशिश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी तिमाहियों के दौरान वेंडरों के सुदृढीकरण के साथ ही इस चलन में तेजी दिखने के आसार हैं। साथ ही वैश्विक कंपनियों की इन-हाउस केंद्रों के अधिग्रहण में घरेलू आईटी कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी से भी इस प्रवृत्ति को रफ्तार मिलेगी।
आईटी आउटसोर्सिंग सलाहकार और पारीख कंसल्टिंग के संस्थापक पारीख जैन ने कहा, ‘रीबैजिंग भारतीय आईटी सेवा प्रदाताओं के लिए कोई नई चीज नहीं है लेकिन मौजूदा वैश्विक महामारी के दौरान इस प्रकार के अनुबंधों में तेजी वेंडर सुदृढीकरण की ओर संकेत करती है। घरेलू आईटी कंपनियां वैश्विक कंपनियों के निजी केंद्रों के अधिग्रहण के जरिये वृद्धि को रफ्तार देने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में आगामी तिमाहियों के दौरान ग्राहक के कर्मचारियों को खपाने की प्रवृत्ति में तेजी दिखने के आसार हैं।’
रीबैजिंग का तात्पर्य आउटसोर्सिंग सौदे के तहत आईटी सेवा कंपनी द्वारा ग्राहकों के कर्मचारियों को अपने खेमे में शामिल करने से है।
इस महीने के आरंभ में देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा प्रदाता इन्फोसिस ने अमेरिकी निवेश फर्म वैनगार्ड के साथ 1.5 अरब डॉलर के सौदे की घोषणा की थी। इस सौदे के तहत वैनगार्ड के करीब 1,300 कर्मचारियों को इन्फोसिस में शामिल किया गया। एचसीएल टेक्नोलॉजिज भी सिस्को के कुछ कर्मचारियों के हस्तांतरण की प्रक्रिया में है। कंपनी ने करीब 5 करोड़ डॉलर के एक सौदे के तहत सिस्को की सेल्फ-ऑप्टिमाइजिं नेटवर्क (एसओएन) टेक्नोलॉजी का अधिग्रहण किया है। इसी सौदे के तहत कर्मचारियों की रीबैजिंग की जा रही है।
भारतीय आईटी सेवा कंपनियों ने ऐसे कई आउटसोर्सिंग सौदे हासिल किए हैं जिनमें कर्मचारियों के हस्तांतरण का प्रावधान है। हालांकि इस प्रकार के सौदे से शुरुआत में मार्जिन पर थोड़ा प्रभाव पड़ता है लेकिन परियोजना में तेजी आने के साथ ही कंपनियों के परिचालन मार्जिन में भी सुधार होता है।
हालांकि इस प्रकार के सौदों के कारण आईटी कंपनियों के प्रति कर्मचारी फुल टाइम इक्विवैलेंट (एफटीई) शुद्ध राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रति एफटीई राजस्व से पता चलता है कि प्रत्येक नियमित कर्मचारी ने कंपनी के लिए कितना राजस्व अर्जित किया और यह दक्षता को महत्त्वपूर्ण पैमाना है। पिछले साल टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने अमेरिकी वाहन कंपनी जनरल मोटर्स के साथ पांच वर्षों के लिए 50 करोड़ डॉलर का एक सौदा किया था जिसके तहत उसने जनरल मोटर्स इंडिया के इंजीनियरिंग केंद्र के करीब 1,300 कर्मचारियों को खपाया था।
इसी प्रकार, पिछले साल सितंबर में विप्रो ने वारा इन्फोटेक के साथ कारोबार हस्तांतरण समझौता करने के बाद आईसीआईसीआई बैंक से 30 करोड़ डॉलर का अनुबंध हासिल किया था। सौदे के अनुसार, बेंगलूरु की इस आईटी कंपनी ने वारा इन्फोटेक के करीब 3,800 कर्मचारिायों को खपाया था। विप्रो ने अमेरिकी मानव संसाधन एवं वित्तीय सेवा फर्म अलाइट के साथ 1.6 अरब डॉलर के आउटसोर्सिंग सौदे के तहत उसकी भारतीय इकाई के करीब 9,000 कर्मचारियों को खपाया था। इन्फोसिस ने भी 2019 में अमेरिकी दूरसंचार कंपनी वेरिजॉन के साथ 1 अरब डॉलर के सौदे के तहत उसके करीब 2,500 कर्मचारियों को खपाया था।

First Published : July 25, 2020 | 12:15 AM IST