दिसंबर 23 में समाप्त हुई तिमाही (वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही) की कमाई के नतीजों के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के एक शीर्ष अधिकारी और विश्लेषकों ने कहा कि तेल-से-रसायन (ओ2सी) खंड की कमाई अस्थिर और सीमित रहने के आसार हैं। आरआईएल के प्रबंधन ने कहा है कि हालांकि रिफाइनिंग मार्जिन की स्थितियां अनुकूल दिख रही हैं, लेकिन डाउनस्ट्रीम पर दबाव बना हुआ है।
ओ2सी कारोबार में आरआईएल का रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल और ईंधन का खुदरा व्यापार खंड शामिल हैं। कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी वी श्रीकांत ने आय के नतीजों के बाद कहा ‘बाजार में व्यवधान के कारण कुल मिलाकर ओ2सी आय कुछ अस्थिर रहने वाली है।’ इस खंड के संबंध में शेयर बाजार का नजरिया भी आरआईएल के प्रबंधन के अनुरूप है।
जेफरीज के विश्लेषकों ने आय के नतीजों के बाद अपने नोट में कहा है कि ओ2सी कारोबार के मामले में मार्जिन सीमित दायरे में रहने के आसार हैं। सेंट्रम के विश्लेषकों ने शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि ओ2सी खंड में निकट अवधि के दौरान दबाव रह सकता है। एमके जैसे अन्य विश्लेषकों ने अपने नोट में कहा है कि ओ2सी का वैश्विक दृष्टिकोण चीन के मांग-आपूर्ति दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही में ओ2सी खंड के एबिटा में पिछले साल की तुलना में एक प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई और यह 14,064 करोड़ रुपये रहा। इसके बारे में कंपनी ने कहा कि नियोजित रखरखाव और निरीक्षण की वजह से काम बंद रहने के कारण इसमें कमी आई है। शटडाउन के अलावा डाउनस्ट्रीम केमिकल ने भी मार्जिन पर असर डाला।
एमके के विश्लेषकों ने रिफाइनिंग मार्जिन के बेहतर परिदृश्य के कारण वित्त वर्ष 24-26 में अपने ओ2सी के एबिटा अनुमान में दो से चार प्रतिशत तक का इजाफा किया है। हालांकि उन्हें लगता है कि पेट्रोकेमिकल का मार्जिन कमजोर रहेगा।
श्रीकांत ने शुक्रवार को जेट ईंधन उत्पाद की मांग का उल्लेख करते हुए कहा कि इन उत्पादों की निरंतर मांग वाले इस माहौल में रिफाइनिंग मार्जिन की उम्मीद की जा सकती है। वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही के निवेशक प्रस्तुतिकरण के अनुसार जेट ईंधन की वैश्विक मांग पिछले साल के मुकाबले 11 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़कर 76 लाख बैरल प्रतिदिन हो गई है।