डीटीएच सेवा प्रदाता डिश टीवी और निजी क्षेत्र के येस बैंक के बीच निदेशक मंडल को बर्खास्त करने की मांग को लेकर विवाद बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक येस बैंक ने डिश टीवी के मौजूदा बोर्ड को बर्खास्त करने का जो प्रस्ताव रखा है उसमें कोई भी आधार नहीं है। इसके पीछे यह वजह है कि इसी बोर्ड के कार्यकाल में ही येस बैंक ने डिश टीवी को कर्ज जारी किए थे। सूत्रों का कहना है कि बैंक ने फरवरी 2020 में भी कंपनी को कर्ज दिए थे।
घटनाक्रम से अवगत एक सूत्र ने कहा, ‘कोविड-19 के बावजूद डिश टीवी का प्रदर्शन अच्छा रहा है और वह अपने कर्जों को 1,800 करोड़ रुपये से घटाकर अब 600 करोड़ रुपये पर लाने में सफल रही है। ऐसे में पिछले 6-7 साल से पदासीन बोर्ड अक्षम कैसे हो जाता है? येस बैंक को यह तय करना है कि क्या वह एक प्रवर्तक इकाई को दिए गए पैसे को वापस पाने की इच्छा रखने वाला एक ऋणदाता बनना चाहता है या डिश टीवी में एक शेयरधारक होना चाहता है? दोनों स्थितियां एक साथ नहीं हो सकती हैं।’
दरअसल डिश टीवी में 25.63 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले येस बैंक ने कंपनी को एक नोटिस जारी कर अपने सभी पांचों निदेशकों को बोर्ड से हटाने को कहा है। इनमें डिश टीवी के प्रबंध निदेशक जवाहर गोयल भी शामिल हैं जो कंपनी के प्रवर्तक समूह का हिस्सा भी हैं। बैंक का कहना है कि मौजूदा बोर्ड ने एक राइट्ïस इश्यू को मंजूरी दी है जो मुख्य रूप से उसकी हिस्सेदारी को कम करने की कोशिश ही है। बैंक के मुताबिक डिश टीवी के बोर्ड से कई बार आपत्ति जताने के बावजूद ऐसा किया गया। उसने कंपनी के बोर्ड में सात नए सदस्यों की नियुक्ति का नोटिस भी दिया है।
इस बारे में डिश टीवी के करीबी सूत्रों का कहना है कि राइट्स इश्यू कंपनी के विस्तार के लिहाज से अहम कदम है क्योंकि अधिकांश अतिरिक्त नकदी कर्जों के भुगतान में ही चली जा रही है। राइट्स इश्यू की मंजूरी बोर्ड में शामिल स्वतंत्र निदेशकों की एक समिति ने दी थी। येस बैंक की तरफ से लगाए गए आरोपों के बारे में सूत्रों का कहना है कि एक शेयरधारक होने के नाते बैंक को पूरा अधिकार है कि वह इस निर्गम में जारी शेयरों की खरीद कर सके और अपनी हिस्सेदारी स्तर को बनाए रखे।
कंपनी ने यह भी कहा है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अपलिंकिंग संबंधी दिशानिर्देशों की धारा 5.10 के तहत कंपनी के लिए बोर्ड के ढांचे या मुख्य कार्याधिकारी में कोई भी बदलाव करते समय मंत्रालय की पूर्व-अनुमति लेना बाध्यकारी है। इस नियम के मुताबिक निदेशक के तौर पर नियुक्ति के पहले सुरक्षा संबंधी मंजूरी लेना एक पूर्व-शर्त है लेकिन येस बैंक ने इसका पालन नहीं किया है।
येस बैंक ने डिश टीवी की प्रवर्तक इकाइयों को 4,200 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज बांटे थे। गिरवी रखे शेयरों का अंतरण करने के बाद डिश टीवी में उसकी हिस्सेदारी 25 फीसदी से अधिक हो गई थी।