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ऑनलाइन दवा विक्रेताओं को DCGI का नोटिस, दो दिन में मांगा जवाब

भारत के औषधि नियामक ने ऑनलाइन फार्मेसियों को कारण बताओ नोटिस भेजा, दवा एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम 1940 के उल्लंघन के संबंध में करीब आधे दर्जन कंपनियों को यह नोटिस मिला है

Published by
सोहिनी दास
Last Updated- February 10, 2023 | 8:07 PM IST

भारत के औषधि नियामक ने ऑनलाइन दवा विक्रेताओं को नोटिस भेजकर पूछा है कि दवाओं की बिक्री एवं वितरण में कानून का उल्लंघन करने के लिए उनके ​खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जानी चाहिए।

भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने 8 फरवरी को नोटिस जारी कर अगले दो दिनों के भीतर जवाब मांगा है। औषधि नियामक ने कहा है कि नोटिस का जवाब न देने पर बिना चेतावनी जारी किए कार्रवाई की जाएगी। दवा एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम 1940 के उल्लंघन के संबंध में करीब आधे दर्जन कंपनियों को यह नोटिस मिला है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड के पास भी डीसीजीआई के नोटिस की प्रति मौजूद है। ऑनलाइन फार्मेसी के सूत्रों ने कहा कि वे यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह नोटिस क्यों भेजा गया है जबकि एक नया दवा एवं कॉस्मेटिक्स कानून आने वाला है।

नोटिस में भारतीय औषधि महानियंत्रक वीजी सोमानी ने कहा कि उनके कार्यालय को ऑनलाइन, इंटरनेट एवं मोबाइल ऐप सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के जरिये दवाओं की बिक्री के संबंध में प्रस्तुतियां मिली हैं। कानून में बताया गया है कि दवाओं की बिक्री केवल खुदरा दवा विक्रेताओं के जरिये डॉक्टरी पर्ची के तहत करने की अनुमति है।

सोमानी ने कहा कि इस कानून की धारा 18 (C) के अनुसार, बिक्री, वितरण अथवा स्टॉकिंग के लिए दवाओं का विनिर्माण इसके लिए जारी लाइसेंस की शर्तों के अधीन होगा। नियम 62 में कहा गया है कि यदि दवाओं की बिक्री अथवा भंडारण एक से अधिक जगहों पर किया जाता है तो अलग-अलग लाइसेंस हासिल करने होंगे।

DCGI के नोटिस में कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2018 में प्रतिवादियों (ऑनलाइन फार्मेसी) द्वारा बिना लाइसेंस के दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दिया था। इस अदालती आदेश की प्रतियां मई 2019, नवंबर 2019 और फरवरी 2023 में सभी राज्य औष​धि नियंत्रकों को भेजी गई थीं ताकि आवश्यक कार्रवाई एवं अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

खुदरा दवा विक्रेताओं के प्रतिनिधि संगठन ने ऑनलाइन दवा विक्रेताओं पर अनियमितता बरतने और नियमों का अनुपालन न करने का आरोप लगाया है। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स ऐंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) ने 8 फरवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात की थी।

AIOCD के अध्यक्ष जेएस ​शिंदे ने कहा कि ई-फार्मेसी की आक्रामक मूल्य निर्धारण एवं अवैध गतिविधियों से कारोबार प्रभावित हुआ है। इसका असर 12 लाख सदस्यों (खुदरा दवा विक्रेताओं) की आजीविका पर भी दिख रहा है।

AIOCD की दिल्ली इकाई के प्रमुख संदीप नांगिया ने आरोप लगाया कि नकली दवाएं, बच्चों की दवाएं आदि ऑनलाइन चैनलों के जरिये बेची जा रही हैं।

एक ऑनलाइन फार्मेसी के वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि सरकार ने ई-फार्मेसी के जरिये दवाओं की ​बिक्री एवं वितरण को विनियमित करने के लिए दवा एवं कॉस्मेटिक्स नियम 1945 में संशोधन के लिए मसौदा नियमों पर सभी हितधारकों एवं आम लोगों से राय मांगी है। उन्होंने कहा, ‘जहां तक हमें जानकारी है कि सरकार ने AIOCD को नए दवा एवं कॉस्मेटिक्स कानून बनने तक इंतजार करने के लिए कहा है।’

First Published : February 10, 2023 | 6:58 PM IST