देश में Co-workingऑफिस स्पेस की मांग खूब बढ़ रही है। कंपनियां लागत खर्चों में कटौती पर जोर दे रही है जिससे नियमित ऑफिस स्पेस की बजाय Co-working ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ रही है।
ANAROCK के रिसर्च डेटा से पता चलता है कि वित्त वर्ष 23 में रेगुलर ऑफिस लीजिंग गतिविधि में वित्त वर्ष 2020 (इस समय यह पीक पर थी) की तुलना में 12 फीसदी की गिरावट आई है। वित्त वर्ष 20 में शीर्ष 7 शहरों में लीजिंग 4.3 करोड़ वर्ग फुट थी, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह 3.61 करोड़ वर्ग फुट रही।
रेगुलर कमर्शियल ऑफिस स्पेस में इस गिरावट के बीच में Co-Working ऑफिस स्पेस ने उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है। वित्त वर्ष 23 में ऑफिस गतिविधि में फ्लेक्सी ऑफिस स्पेस की हिस्सेदारी 23 फीसदी तक बढ़ गई, वित्त वर्ष 20 में यह हिस्सेदारी 12 फीसदी थी। इस तरह वित्त वर्ष 2020 की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में हिस्सेदारी 11 फीसदी बढ़ी और यह सभी ऑफिस स्पेस में दर्ज की गई सबसे अधिक वृद्धि है।
पुणे में सबसे ज्यादा बढ़ी हिस्सेदारी
रिपोर्ट के अनुसार पुणे Co-working ऑफिस स्पेस में हिस्सेदारी बढ़ने के मामले में अव्वल रहा। पुणे में सबसे ज्यादा 40 फीसदी Co-working ऑफिस स्पेस की हिस्सेदारी बढ़ी। इसके बाद 30 फीसदी के साथ बेंगलुरु दूसरे स्थान पर रहा।
दिलचस्प बात यह है कि बेंगलुरु के Co-working ऑफिस स्पेस और आईटी/आईटीईएस उद्योग समग्र बाजार लीडर के रूप में उभरे, जिनके पास शहर की कमर्शियल स्पेस की मांग का क्रमशः 33 फीसदी और 29 फीसदी हिस्सा था। यह चलन बेंगलुरु तक ही सीमित नहीं है। जैसे-जैसे अधिक व्यवसाय फिक्स ऑफिस खर्च के लिए लचीले विकल्प तलाशते हैं, फ्लेक्स ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ती है।
कोलकाता में भी फ्लेक्स ऑफिस स्पेस के बड़े लेन-देन हुए। वित्त वर्ष 2023 में कोलकाता के ऑफिस मार्केट में ऑफिस लीजिंग के मामले में आईटी/आईटीईएस 36 फीसदी हिस्सेदारी के साथ हावी रहा। लेकिन इसके बाद 21 फीसदी हिस्सेदारी के साथ Co-working ऑफिस स्पेस दूसरे नंबर रहा। जो दर्शाता है कि इस शहर में Co-working ऑफिस स्पेस की लोकप्रियता और मांग बढ़ रही है।
Co-Working ऑफिस स्पेस का भविष्य और भी सुनहरा
ANAROCK की रिपोर्ट में कहा गया कि भविष्य में Co-working ऑफिस स्पेस का और भी बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा क्योंकि कामकाज के डीएनए में मौलिक परिवर्तन आया है। भारत जैसे-जैसे दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं के बीच अपनी वर्तमान बढ़त को बनाए रखता है और इसे बढ़ाता है वैसे वैसे Co-working ऑफिस स्पेस एक केंद्रीय भूमिका निभाएगा।
देश में भविष्य में फ्लेक्सी ऑफिस स्पेस की मांग अगले 2 से 3 वर्षों में 15 से 20 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। हालांकि वास्तविक मांग इस पूर्वानुमान से कहीं अधिक भी हो सकती है।