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Reliance Capital के कर्ज समाधान का मामला, दूसरे दौर की नीलामी पर रस्साकशी

राष्ट्रीय कंपनी वि​​धि पंचाट (NCLT) ने आज लेनदारों से कहा कि अगले हफ्ते उसका आदेश जारी होने तक नीलामी के दूसरे दौर पर वे कोई फैसला न लें।

Published by
देव चटर्जी
Last Updated- January 12, 2023 | 10:58 PM IST

एडवांस कैश के तौर पर 8,40 करोड़ रुपये की बोली लगाकर सर्वोच्च बोलीदाता के तौर पर टॉरंट के उभरने के बाद रिलायंस कैपिटल के लिए 19 जनवरी को दूसरे दौर की नीलामी की योजना बना रहे लेनदार दिवालिया कंपनी के लिए ज्यादा मूल्यांकन चाह रहे हैं।

पहले दौर की नीलामी के बाद हिंदुजा ने हालांकि 9,000 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, जिसके बाद टॉरंट इस मामले को लेकर राष्ट्रीय कंपनी वि​​धि पंचाट (NCLT) पहुंच गई।

लेनदारों की समिति (CoC) के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सबसे ऊंची बोली लगाने वाले समेत किसी भी समाधान आवेदक को चैलेंज मैकेनिज्म किसी तरह का अधिकार नहीं देता और CoC सबसे बड़ी समाधान योजना को मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं है।

टॉरंट मानकर चल रही है कि उसकी योजना सही है लेकिन सीओसी का निष्कर्ष है कि यह ठीक नहीं है। सीओसी ने टॉरंट की योजना में खामी पाई है और प्रशासक ने 4 जनवरी को टॉरंट को लिखा है कि समाधान प्रस्ताव के मसौदे में टॉरंट के वित्तीय प्रस्ताव का एनपीवी चैलेंज मैकेनिज्म में उसकी तरफ से जमा कराई गई सर्वोच्च बोली से मेल नहीं खाता।

सिबल ने कहा, इसी वजह से सीओसी ने पाया है कि टॉरंट पहली नीलामी के तीसरे दौर की सीमा को भी पूरा नहीं करता। इसलिए वह तीसरे दौर के लिए गैर-अनुपालन वाली है और वह चौथे दौर में भागीदारी नहीं कर सकती थी। जब प्रशासक ने टॉरंट को लिखा तब उसने 6 जनवरी को नई बोली जमा कराई और पूरी बोली को बदल दिया। यह तथ्य परेशान करने वाला है कि उसने ये चीजें एनसीएलटी के सामने नहीं रखी।

सिब्बल ने कहा कि हिंदुजा समूह अब टॉरंट से 1,000 करोड़ रुपये ज्यादा पेशकश कर रहा है, ऐसे में एलआईसी व ईपीएफओ समेत लेनदारों को तब ज्यादा रकम नहीं मिल पाएगी जब दिवालिया कंपनी को पहले दौर के सबसे ऊंचे बोलीदाता को सौंपा जाएगा।

टॉरंट के वकील डेरियस खंबाटा ने कहा कि सीओसी के निर्देश पर प्रशासक पहले ही 21 दिसंबर को लिखित तौर पर ऐलान कर चुका है कि चैलेंज मैकेनिज्म पूरा हो गया है और उसकी बोली सबसे ऊंची रही। टॉरंट ने यह भी तर्क दिया कि दूसरे दौर की नीलामी अवैध है और नियमों के तहत इसकी इजाजत नहीं है। साथ ही सीओसी व प्रशासक को पहले दौर पर आधारित अनुपालन वाली समाधान योजना पर मतदान की दरकार है। इस पर सीओसी असहमत है और मामले पर जवाब देने के लिए समय मांगा और इस पर अगली सुनवाई में विस्तार से दलील देगी।

NCLT ने सीओसी व प्रशासक के रुख को रिकॉर्ड कर लिया कि चैलेंज मैकेनिज्म का दूसरा दौर एनसीएलटी में अगली सुनवाई से पहले आयोजित नहीं किया जाएगा। एनसीएलटी ने यह भी कहा कि उसका अंतरिम आदेश अभी लागू रहेगा। रिलायंस को भारतीय रिजर्व बैंक ने दिवालिया संहिता के तहत कर्ज समाधान के लिए तब भेजा जब उसने 24,000 करोड़ रुपये के कर्ज भुगतान में चूक की।

First Published : January 12, 2023 | 10:58 PM IST