कंपनियां

रतन टाटा के बाद टाटा ग्रुप में नया संकट! क्या हो रहा है अंदर कि सरकार को देना पड़ा दखल

Tata Sons और Tata Trusts के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमित शाह और निर्मला सीतारमण ने की बैठक, विवाद का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी।

Published by
देव चटर्जी   
भाषा   
Last Updated- October 08, 2025 | 8:42 AM IST

टाटा ग्रुप में चल रहे अंदरूनी विवाद को लेकर अब सरकार को दखल देना पड़ा है। Tata Trusts, जो Tata Sons में 66% हिस्सेदारी रखता है, उसके अंदर गहराता टकराव अब देश की सरकार तक पहुंच गया है। मंगलवार शाम को नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से Tata Sons और Tata Trusts के आला अधिकारियों ने मुलाकात की। बैठक में Tata Sons को “कंट्रोल” करने और खुद को “सुपर बोर्ड” की तरह पेश करने की कोशिश कर रहे कुछ ट्रस्टीज पर चर्चा हुई।

यह बैठक 10 अक्टूबर को होने वाली Tata Trusts की बोर्ड मीटिंग से पहले हुई है। इसी बीच, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से यह दिशा-निर्देश आने की उम्मीद है कि क्या Tata Sons को अब स्टॉक मार्केट में लिस्ट होना चाहिए या नहीं। जो इस समय समूह के भीतर एक बड़ा विवाद बना हुआ है।

सरकार को क्यों करनी पड़ी मध्यस्थता?

सूत्रों के अनुसार, सरकार ने देश के सबसे बड़े कारोबारी समूह में बढ़ते संकट को देखते हुए यह आपात बैठक बुलाई। बैठक का उद्देश्य Tata Trusts के अंदर कथित “गवर्नेंस की गड़बड़ियों” पर चर्चा करना और विवाद सुलझाने का रास्ता निकालना था।

बैठक में Tata Sons के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, Tata Trusts के चेयरमैन नोएल टाटा, Tata Sons के नामित डायरेक्टर और Tata Trusts के वाइस-चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन, और वरिष्ठ वकील व ट्रस्टी डेरियस खंभाटा मौजूद थे।

क्या रतन टाटा के निधन के बाद गहराई दरार?

सूत्रों के मुताबिक, Tata Trusts के अंदर मतभेद रतन टाटा के अक्टूबर 2024 में निधन के बाद खुलकर सामने आने लगे थे। हाल ही में Dorabji Tata Trust (जो एक प्रमुख शेयरहोल्डिंग ट्रस्ट है) के सात में से चार ट्रस्टी एक गुट में हैं और बाकी तीन दूसरे गुट में।

विवाद की जड़ क्या है – विजय सिंह की विदाई?

विवाद की शुरुआत तब हुई जब ट्रस्टीज के वोट के जरिए टाटा ट्रस्ट्स के नामित डायरेक्टर विजय सिंह को Tata Sons के बोर्ड से हटा दिया गया। उनके हटाए जाने का कारण बताया गया कि वे 75 वर्ष की आयु सीमा पार कर चुके हैं। सिंह जो पहले रक्षा सचिव रह चुके हैं, वह Tata Trusts के वाइस-चेयरमैन भी हैं।

क्या ट्रस्ट के अंदर चल रहा है ‘कूप’ का खेल?

सूत्रों के अनुसार, Tata Trusts के ट्रस्टी मेहली मिस्त्री को विजय सिंह की विदाई का प्रमुख कारण माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि वे अब Tata Sons के बोर्ड से वेणु श्रीनिवासन को हटाने की योजना भी बना रहे थे। बताया जा रहा है कि मिस्त्री खुद Tata Sons के बोर्ड में शामिल होना चाहते थे, लेकिन हाल ही में इस प्रस्ताव को बोर्ड ने खारिज कर दिया।

मिस्त्री, जो रतन टाटा के करीबी रहे हैं और जिनका समर्थन तीन ट्रस्टी- प्रमीत झावेरी, डेरियस खंभाटा और जहांगीर एच.सी. जहांगीर कर रहे हैं, Tata Sons के बोर्ड मीटिंग के एजेंडा और मिनट्स देखने की भी मांग कर रहे हैं। यह पूरा मामला Tata Trusts के अंदर एक “कूप (coup) की कोशिश” के रूप में देखा जा रहा है।

सरकार क्यों है चिंतित इस विवाद से?

सरकार के लिए यह विवाद इसलिए अहम है क्योंकि Tata Group देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा स्तंभ है। इसकी कंपनियों ने देश के बैंकों से भारी कर्ज लिया हुआ है और कई रणनीतिक क्षेत्रों में इसका योगदान है। इसलिए सरकार चाहती है कि यह विवाद जल्द से जल्द सुलझे।

First Published : October 8, 2025 | 8:42 AM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)