एचडीएफसी के चेयरमैन रहे दीपक पारेख ने कहा कि अध्ययन ऋण देने वाली फर्म एचडीएफसी क्रेडिटा फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड को हाउसिंग डेवलपमेंट ऐंड फाइनैंस कॉर्पोरेशन लिमिडेड (एचडीएफसी) और एचडीएफसी के विलय में शामिल नहीं किया जा सका, और उसका कारोबार बेचने का फैसला करना पड़ा क्योंकि विलय की प्रक्रिया के लिए कई नियामक मंजूरियों की जरूरत थी।
ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2023 में बोलते हुए पारेख ने कहा, ‘एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के विलय के दौरान रिजर्व बैंक ने हमें एचटीएफसी क्रेडिला के विलय का बिक्री का विकल्प दिया था। हमने इसे बेच दिया क्योंकि उस समय क्रेडिला की कुल संपत्ति 15,000 करोड़ रुपये थी और एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के विलय के बाद की संपत्ति करीब 25 लाख करोड़ रुपये थी। अगर 25 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का विलय किया जाता तो विलय की प्रक्रिया में उतना ही वक्त करीब एक साल लग जाता, क्योंकि कई तरह की मंजूरियां लेनी पड़तीं। ऐसे में यह कवायद फायदेमंद नहीं थी।’
पारेख इस समय एचडीएफसी लाइप और एचडीएफसी एएमसी के चेयरमैन हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर यह है कि बैंक सीधे शिक्षा ऋण देना शुरू करे और उसके लिए कुछ धन अलग रखे। एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक के साथ विलय 1 जुलाई, 2023 से प्रभावी हुआ है।