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एक्सीलेंस इनेबलर्स के सर्वे में कॉरपोरेट गवर्नेंस उल्लंघन करने वाली कंपनियों की संख्या बढ़कर 16 हुई

निफ्टी 100 कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों की अनुपस्थिति और बोर्ड भूमिकाओं के संयोजन से कॉरपोरेट गवर्नेंस के उल्लंघन की घटनाएं बढ़ी, जबकि बोर्ड बैठकों में सुधार देखा गया

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- October 03, 2025 | 10:12 PM IST

एक्सीलेंस इनेबलर्स के कॉरपोरेट गवर्नेंस सर्वेक्षण में कहा गया है कि अपने बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों की न्यूनतम आवश्यकता को पूरा करने में विफल रहने वाली कंपनियों की संख्या वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 16 हो गई। वित्त वर्ष 2024 में उनकी संख्या 11 थी।

वित्त वर्ष 2025 के अंत में निफ्टी 100 कंपनियों में से 16 कंपनियां गैर-अनुपालन वाली थीं। इनमें 11 सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां (पीएसयू) और 3 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) शामिल थे। उल्लेखनीय रूप से पांच सार्वजनिक उपक्रमों के बोर्ड में एक भी स्वतंत्र निदेशक नहीं था। इसकी तुलना में वित्त वर्ष 2024 में 11 गैर-अनुपालन वाली कंपनियां थीं जिनमें 8 सार्वजनिक उपक्रम और 2 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शामिल थे।  31 मार्च, 2025 तक आठ कंपपियों में कोई भी महिला स्वतंत्र निदेशक नहीं थी जबकि 39 कंपनियों में दो या दो से अधिक महिला स्वतंत्र निदेशक थीं। कंपनी अधिनियम, 2013 में अनिवार्य है कि किसी सूचीबद्ध कंपनी के बोर्ड में कुल निदेशकों में से कम से कम एक-तिहाई स्वतंत्र निदेशक होने चाहिए। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के नियम भी कहते हैं कि अगर किसी सूचीबद्ध कंपनी में नियमित गैर-कार्यकारी चेयरपर्सन नहीं है तो बोर्ड में कम से कम आधे स्वतंत्र निदेशक होने चाहिए।

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सर्वेक्षण के छठे संस्करण में बोर्ड चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एमडी/सीईओ) की भूमिकाओं को अलग करने के महत्त्व पर भी जोर दिया गया। हालांकि 37 कंपनियों में ये भूमिकाएं संयुक्त ही थीं। रिपोर्ट इसकी आलोचना करते हुए कहती है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस पृथक्करण को गैर-अनिवार्य बना दिया गया है। उसने चेतावनी दी है कि इन भूमिकाओं को मिलाना अच्छे कॉरपोरेट प्रशासन के मूल सिद्धांत के विपरीत है। 

सकारात्मक बात यह है कि सर्वेक्षण में निदेशकों की उपस्थिति और सालाना आयोजित बोर्ड बैठकों की संख्या में सुधार दर्ज किया गया तथा अधिकांश कंपनियों ने चार बैठकों की न्यूनतम आवश्यकता से अधिक कीं। 

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सर्वेक्षण में पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान लगातार बने रहे जोखिमों की भी पहचान की गई है। इनमें उत्तराधिकार योजना का अभाव, कारोबारी निरंतरता संबंधी योजनाओं का अभाव, अपर्याप्त मानव संसाधन और प्रतिभा प्रबंधन, भू-राजनीतिक जोखिम, मानवाधिकार संबंधी चिंताएं, विविधता और समावेशन की चुनौतियां, कारोबारी नैतिकता और निष्ठा के मुद्दे, धोखाधड़ी, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और अनुसंधान एवं विकास संबंधी कमियां शामिल हैं। साइबर सुरक्षा की घटनाएं चिंता का विषय बनी हुई हैं। वित्त वर्ष 2024 में 14 कंपनियों ने डेटा उल्लंघन या इससे जुड़ी घटनाओं की सूचना दी। हालांकि केवल पांच ने ही विस्तृत जानकारी दी। वित्त वर्ष 2025 में आठ कंपनियों ने ऐसी घटनाओं की सूचना दी, जिनमें से सात ने उल्लंघनों का विवरण दिया।

First Published : October 3, 2025 | 10:12 PM IST