प्रतीकात्मक तस्वीर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल युग की मांग को देखते हुए पहले ही e-Rupee लॉन्च कर चुकी है, जो देश की पहली सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) है। यह फिजिकल नोटों का इलेक्ट्रॉनिक रूप है, जो रुपए की वैल्यू को बनाए रखते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करता है। 2022 में शुरू हुए पायलट प्रोजेक्ट के बाद, मार्च 2025 तक e-Rupee का सर्कुलेशन 1,016 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था, जो पिछले साल के 234 करोड़ से चार गुना ज्यादा है।
यह बढ़ोतरी 17 बैंकों और 60 लाख यूजर्स के साथ रिटेल पायलट के विस्तार से आई है। e-Rupee न सिर्फ पर्सन-टू-पर्सन (P2P) और पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) ट्रांजेक्शन को आसान बनाता है, बल्कि ऑफलाइन पेमेंट्स और प्रोग्रामेबल फीचर्स जैसे नए विकल्प भी जोड़ता है। RBI का लक्ष्य इसे वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) बढ़ाने और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स में इस्तेमाल करने का है, जो ग्लोबल ट्रेड में रुपए की भूमिका मजबूत करेगा।
आइए सबसे पहले समझते हैं कि e-Rupee का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करना UPI जितना ही सरल है, लेकिन इसमें सेंट्रल बैंक की बैकिंग जोड़ दी जाती है। सबसे पहले, किसी पार्टिसिपेटिंग बैंक की मोबाइल ऐप या नेट बैंकिंग से डिजिटल वॉलेट डाउनलोड करें। अभी SBI, HDFC, ICICI, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, कोटक महिंद्रा, Yes बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HDFC जैसे 17 बैंक में यह सुविधा है।
इन बैंकों के ऐप में e-Rupee का विकल्प चुनें और अपना बैंक अकाउंट लिंक करें। RBI गाइडलाइंस के मुताबिक, आपका डिजिटल वॉलेट सीधे बैंक बैलेंस से जुड़ेगा, जहां से e-Rupee लोड किया जा सकता है।
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ट्रांजेक्शन शुरू करने के लिए, क्यूआर कोड स्कैन करें या मर्चेंट का e-Rupee ID एंटर करें। उदाहरण के तौर पर, ग्रॉसरी शॉपिंग या यूटिलिटी बिल पेमेंट में यह काम आता है। P2P ट्रांसफर के लिए रिसीवर का मोबाइल नंबर या वॉलेट ID इस्तेमाल करें, जो रीयल-टाइम सेटलमेंट सुनिश्चित करता है।
ऑफलाइन मोड में, ब्लूटूथ या NFC के जरिए पेमेंट संभव है, जो नेटवर्क इश्यूज वाले इलाकों में उपयोगी साबित हो रहा है। प्रोग्रामेबल फीचर से, जैसे ओडिशा की सुभद्रा योजना में 88,000 महिलाओं को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर हुआ, जहां फंड्स का एंड-यूज तय किया गया।
e-Rupee को कैश या बैंक मनी में कन्वर्ट करना आसान है, बिना किसी एक्स्ट्रा फीस के। हालांकि, पायलट फेज में यह सीमित शहरों तक है, लेकिन जल्द ही पूरे देश में रोलआउट की योजना है। सिक्योरिटी के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जरूरी है, जो फ्रॉड को रोकता है।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट के मोहित गांग के मुताबिक, e-Rupee न सिर्फ सुविधा बढ़ाता है, बल्कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी भूमिका निभा रहा है। सबसे बड़ा लाभ है कम सेटलमेंट रिस्क, क्योंकि ट्रांजेक्शन ब्लॉकचेन-बेस्ड होते हैं, जो तुरंत फाइनल होते हैं। मार्च 2025 तक सर्कुलेशन के चार गुना बढ़ने से साबित होता है कि यह फाइनेंशियल इंक्लूजन को बढ़ावा दे रहा है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां कैश हैंडलिंग मुश्किल होती है।
पर्यावरण के लिहाज से अगर देखें तो इसके इस्तेमाल से प्रिंटिंग और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट की भारी बचत हो सकती है। ट्रांसपेरेंसी भी एक और मजबूत पक्ष है। प्रोग्रामेबिलिटी से गवर्नमेंट स्कीम्स में मिसयूज रुकता है, जैसे इनपुट टैक्स क्रेडिट फ्रॉड खत्म हो सकता है अगर GST पेमेंट e-Rupee से हो।
क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स में, RBI द्विपक्षीय पायलट्स एक्सप्लोर कर रहा है, जो टर्नअराउंड टाइम घटाकर ट्रेड को बूस्ट देगा। इससे रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण मजबूत होगा, खासकर भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के साथ। इसके अलावा 2025 तक बहामास (Sand Dollar), नाइजीरिया (e-Naira), जमैका (Jam-Dex), और जिम्बाब्वे (ZiG) ने CBDC लॉन्च की है, जिसे लोग रोजमर्रा की खरीदारी और भुगतान के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, इन देशों ने अभी अपनी डिजिटल करेंसी पूरी आबादी के लिए नियमित उपयोग के लिए पूरी तरह से नहीं रोल आउट की है।
इसके अलावा इससे मॉनिटरी पॉलिसी को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है। RBI ट्रांजेक्शन मॉनिटर कर सकता है, जो मनी लॉन्ड्रिंग रोकने और टारगेटेड सब्सिडी डिस्ट्रीब्यूशन में उपयोगी है। यूजर्स के लिए, यह इंटरेस्ट-फ्री रहते हुए कैश जैसी प्राइवेसी देता है, लेकिन सेंट्रल कंट्रोल से सेफ रहता है। कुल मिलाकर, यह डिजिटल पेमेंट्स को और मजबूत बनाते हुए अर्थव्यवस्था को कुशलता की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।