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होड़ घटी… बढ़ गया हवाई किराया, इंडिगो और एयर इंडिया का दबदबा जारी

करीब 5 साल पहले यानी 2019 में 55.2 फीसदी हवाई मार्ग ऐसे थे, जहां होड़ ही नहीं थी और एक ही कंपनी की उड़ानें आती-जाती थीं। लेकिन अप्रैल 2024 में ऐसे मार्ग बढ़कर 69.2 फीसदी हो गए

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दीपक पटेल   
Last Updated- August 26, 2024 | 11:31 PM IST

पिछले कुछ साल में तमाम वजहों से विमानन क्षेत्र में मांग बढ़ी है मगर होड़ कम होने के कारण किराये में भी तेजी आई है। करीब पांच साल पहले यानी 2019 में 55.2 फीसदी हवाई मार्ग ऐसे थे, जहां होड़ ही नहीं थी और एक ही कंपनी की उड़ानें आती-जाती थीं। लेकिन अप्रैल 2024 में ऐसे मार्ग बढ़कर 69.2 फीसदी हो गए। मतलब साफ है कि इस साल अप्रैल तक दो या दो से अधिक विमानन कंपनियां कुल 1,083 घरेलू मार्गों में से महज 30.8 फीसदी पर ही आपस में होड़ कर रही थीं। विमानन विश्लेषक फर्म सिरियम के आंकड़ों से यह पता चला है, जिन्हें बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी देखा है।

होड़ घटने के साथ ही विमानन कंपनियां किराये भी लगातार बढ़ाने लगीं। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद से किराये में अ​धिक तेजी दिखी है। देश के सबसे व्यस्त मार्ग दिल्ली-मुंबई की बात करें तो इस मार्ग पर अप्रैल 2019 से अप्रैल 2023 के बीच औसत हवाई किराया 20.5 फीसदी गिरा मगर पिछले साल किराये में 34.6 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह दिल्ली से बेंगलूरु के लिए इकॉनमी श्रेणी का औसत हवाई किराया एक साल में ही 53.1 फीसदी बढ़ गया।

किराया तय करने की नीति में यह बदलाव 2019 में जेट एयरवेज के दिवालिया होने और 2023 में गो फर्स्ट के दिवालिया होने के बाद खास तौर पर आया है। आर्थिक संकट से जूझ रही विमानन कंपनी स्पाइसजेट भी अपने विमानों की संख्या लगातार घटा रही है। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के मुताबिक ऐसे में देश के भीतर हवाई यात्रा बाजार के 90 फीसदी हिस्से पर इस साल जुलाई तक इंडिगो और एयर इंडिया समूह का वर्चस्व हो गया है।

विमानन उद्योग में होड़ कम होने से विमानन कंपनियों को काफी राहत मिली है। इसलिए अब वे कम किराये के साथ उड़ान भरने के बजाय किराया (प्रति यात्री प्रति किलोमीटर औसत कमाई) बढ़ाने पर  ध्यान देने लगी है। इसका नमूना हाल में 15 से 19 अगस्त के बीच लंबे सप्ताहांत के दौरान दिखा, जब स्वतंत्रता दिवस, सप्ताहांत और रक्षाबंधन के कारण हवाई यात्रा बढ़ गई थी।

एक प्रमुख विमानन कंपनी के राजस्व प्रबंधन अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि कुछ मार्गों पर यात्रियों की भीड़ कम थी मगर विमानन कंपनियों ने हाजिर किराये में बमुश्किल कमी की है। अधिकारी ने समझाया, ‘वैश्विक महामारी से पहले ऐसे मार्गों पर एक या दो विमानन कंपनियां किराये में भारी कटौती करती थीं, जिसके बाद दूसरी कंपनियां भी किराये घटाती थीं। अब किराये में अचानक कमी कभी-कभार ही होती है। अब हमारे उद्योग का ध्यान कमाई पर है।’

सिरियम के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो के लिए 2019 में 491 घरेलू मार्गों में से 33.4 फीसदी पर किसी तरह की होड़ ही नहीं थी। पांच साल बाद यानी अप्रैल 2024 में 838 घरेलू मार्गों में से 61.2 फीसदी पर कंपनी के सामने कोई होड़ नहीं है।

विमानन शोधकर्ता और विमानन ब्लॉग नेटवर्क थॉट्स के संस्थापक अमेय जोशी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पिछले कुछ साल में भारत में कनेक्टिविटी बहुत तेजी से बढ़ी है। एकाधिकार को ऐसे भी देख सकते हैं कि उन मार्गों पर वह एयरलाइन नहीं होती तो दोनों शहर हवाई मार्ग से जुड़े ही नहीं होते। कुल मिलाकर जैसे-जैसे हवाई मार्ग बढ़ते गए वैसे-वैसे ही एकाधिकार यानी दबदबे वाले मार्ग भी बढ़ते गए। एयर इंडिया समूह के भी तेजी से बढ़ने के कारण अब कई मार्गों पर केवल इंडिगो नहीं रह गई है, दोनों कंपनियों का दबदबा हो रहा है।’

जोशी ने कहा, ‘दो कंपनियों का दबदबा होगा तो किराया तय करने पर भी उसका असर दिखेगा। परिपक्व होते बाजार में सीटें भरने के लिए किराया कम किया जाना अतीत की बात होती जाएगी। आने वाले दो से तीन साल में किराये इस बात पर निर्भर करेंगे कि आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं कितनी दूर होती हैं, विमान कितने होते हैं और हवाई अड्डों में कितना विस्तार होता है। फिलहाल विमान खड़े होने और नए विमान धीमे आने के कारण वृद्धि उतनी तेज नहीं है जितनी होनी चाहिए थी।’

प्रैट ऐंड व्हिटनी इंजन मे समस्या के कारण इंडिगो के 380 में से करीब 70 विमान खड़े हैं। आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं के कारण एयरबस द्वारा और नियामकीय बाधाओं से बोइंग द्वारा भारतीय कंपनियों को विमानों की डिलिवरी में देर ने भी मांग बढ़ने के दौरान हवाई किराये की बढ़ोतरी में भूमिका निभाई है।

इंडिगो के प्रवर्तक राहुल भाटिया ने 5 अगस्त को कहा था कि भारत के पास दो से अधिक विमानन कंपनियां होनी चाहिए और इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी केवल उसके कारण ही नहीं बढ़ी है। कुछ विमानन कंपनियां बंद होने का फायदा भी उसे मिला है।

अक्सर यात्रा करने वालों के लिए ब्लूचिप लॉयल्टी प्रोग्राम पेश करने और अपने विमानों के बिजनेस क्लास के बारे में जानकारी देने के दौरान भाटिया ने संवाददाताओं से कहा था, ‘हम होड़ का स्वागत करते हैं। भारत जैसे देश में सिर्फ दो विमानन कंपनियां नहीं होनी चाहिए। यह देश दो से अधिक कंपनियों का हकदार है। आप चीन को देखें, वहां पांच से छह बड़ी और कई छोटी विमानन कंपनियां हैं। इसलिए भारत में अभी और विमानन कंपनियों के आने की गुंजाइश है।’ भाटिया ने कहा था कि अगर किसी विमानन कंपनी का लागत का ढांचा सही नहीं है तो कभी न कभी संकट में फंस ही जाएगी।

First Published : August 26, 2024 | 10:17 PM IST