सीमेंट कंपनियों की कीमतें बढ़ाने की योजना पर पानी फिर सकता है। सीमेंट कंपनियों ने बढ़ रही मुद्रास्फीति को ध्यान में रख कर तीन महीने तक कीमतें नहीं बढ़ाने के सरकार के आदेश पर अमल करने का फैसला किया था।
तीन महीने की यह अवधि 14 अगस्त को समाप्त हो रही है। प्रमुख सीमेंट कंपनियां बाजार के हालात को कीमत बढ़ोतरी के लिहाज से सही नहीं मान रही हैं। कंपनियों का कहना है कि बाजार के मौजूदा हालात कीमत बढ़ोतरी को सहन करने के लिए ठीक नहीं हैं। इसका मतलब है कि उद्योग को चालू तिमाही में भी बढ़ती उत्पादन लागत से जूझना पड़ सकता है।
देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट निर्माता कंपनी अंबुजा सीमेंट्स के प्रबंध निदेशक ए एल कपूर ने कहा, ‘मैं कीमतें बढ़ाए जाने के पक्ष में हूं, लेकिन बाजार किसी भी कीमत बढ़ोतरी के लिए तैयार नहीं है। इसके विपरीत बारिश के कारण इस समय मांग में 15-20 फीसदी की कमी होने से कीमतों में कमी करनी पड़ सकती है।’
सीमेंट कंपनियों को कोयला, पत्थर, बिजली, माल भाड़ा आदि की कीमतों में उछाल की वजह से मार्च की तिमाही के दौरान उत्पादन खर्च में 12 फीसदी के इजाफे का बोझ उठाना पड़ा। उस वक्त मुद्रास्फीति को काबू करने के लिए कीमतें नहीं बढ़ाई गईं। इस दौरान कीमतें नहीं बढ़ाए जाने की वजह से अधिकांश कंपनियों को लाभ में नुकसान उठाना पड़ा। जून तिमाही में भी यह सिलसिला जारी रहा।
एसीसी के प्रबंध निदेशक सुमित बनर्जी ने बताया, ‘जून की तिमाही में साल दर साल सरकारी कर और शुल्क में 15 फीसदी और ईंधन खर्च में 41 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।’ समान तिमाही में कंपनी के शुद्ध लाभ में 17 फीसदी की कमी आई। जहां कंपनियों को बरसात के मौसम के दौरान कीमतों में इजाफा करने से मुश्किल पैदा हो सकती है वहीं अत्यधिक क्षमता के कारण बारिश के बाद भी स्थिति में सुधार आने की संभावना नहीं दिख रही है। इससे कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। सीमेंट निर्माता संघ के मुताबिक 2008-09 में सीमेंट उद्योग क्षमता 3.2 करोड़ टन और बढ़ जाएगी।