राष्ट्रीय खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने राजस्व साझा करने के मॉडल के तहत बेकार पड़ी खदानें निजी कारोबारियों को आवंटित कर दी हैं। इसका मकसद राजस्व बढ़ाना है।
सीआईएल ने 23 कोयला खदानें चिह्नित की हैं, जिन्हें तकनीकी या वित्तीय वजहों से बंद कर दिया गया था, जिनमें से ज्यादातर भूमिगत खदानें हैं। इन खदानों की कुल मिलाकर सालाना क्षमता 3.414 करोड़ टन सालाना है, जबकि खनन योग्य कुल भंडार 63.5 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया गया है।
सीआईएल के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इसके पीछे कोयले का उत्पादन व औद्योगिक हिस्सेदारी बढ़ाने का विचार है। हाल के दिनों में सीआईएल ने अनुबंध आधारित खनन की हिस्सेदारी बढ़ा दी है और कंपनी ने 75 प्रतिशत से अधिक कोयला उत्खनन एमडीओ मार्ग के माध्यम से निजी कारोबारियों को सौंप दिया है।
कंपनी ने एमडीओ की हिस्सेदारी 5 साल में बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने की योजना बनाई है। एमडीओ या माइन डेवलपर और ऑपरेटर ठेके के खननकर्ता होते हैं।
सीआईएल के अधिकारी ने कहा कि इसके पीछे मुख्य अवधारणा यह है कि कोयले का घरेलू उत्पादन बढ़ाया जाए और आयात में कमी लाई जाए।
आवंटित की गई खदानों में 7-7 खदानों भारत कोकिंग कोल लिमिटेड और ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की हैं। वहीं 5 खदानें वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की हैं। जबकि शेष खदानें सीआईएल की अन्य सहायक इकाइयों की हैं।