दक्षिण कोरिया की दिग्गज इस्पात कंपनी पोस्को के उड़ीसा में लगने वाले संयंत्र का काम शुरु होने में और देरी हो सकती है। संयंत्र के लिए जमीन की खुदाई का काम अप्रैल में शुरु होना है लेकिन सरकार की तरफ से कोई संकेत न मिलने के कारण कंपनी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। उड़ीसा सरकार और पोस्को के बीच यह संयंत्र लगाने के लिए 2005 में सहमति बनी थी। कंपनी इसमें 52000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है।
स्टीलराइज-2008 नाम के एक तीन दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने आए पोस्को शोध संस्थान(पोस्को रिसर्च इंस्टीटयूट) के निदेशक चांग-हो-क्वाग ने बताया कि कंपनी अप्रैल में खुदाई शुरु करने के लिए तैयार है लेकिन अगर सरकार खदानों के बारे कोई सकारात्मक जवाब नहीं देती है तो इस पर दोबारा सोचना पड़ेगा। 12 मिलियन टन इस्पात उत्पादन वाली इस परियोजना का काम शुरु होने में पहले ही 1 साल की देरी हो चुकी है लेकिन कंपनी अब भी संयंत्र लगाने के अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगी।
क्वाग पिछले ढाई साल से भारत में इस्पात के बाजार और उसमें निवेश की संभावनाओं का जायजा ले रहें हैं। भारतीय इस्पात क्षेत्र में व्यापार के लिए स्थितियों पर प्रस्तुतिकरण देते हुए क्वाग ने कहा कि इस्पात उद्योग के सामने सबसे बड़ी समस्या है कमजोर बुनियादी ढांचा और भूमि अधिग्रहण।
उड़ीसा में संयंत्र लगाने के लिए पोस्को को 4000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करना है लेकिन उसे विस्थापित होने वाले लोगों के भारी विरोध की सामना करना पड़ रहा है। हालांकि कंपनी को उम्मीद है कि ये सारे मुद्दे जल्द ही सुलझा लिए जाएंगे।
