टाटा संस के बोर्ड ने आज अपनी बैठक में एन चंद्रशेखरन को अगले पांच साल के लिए अपना कार्यकारी चेयरमैन नियुक्त कर दिया। इस कदम का अनुमान पहले ही लगाया जा रहा था क्योंकि समूह के मुखिया रतन टाटा ने इसकी सिफारिश की थी। उन्हें बैठक के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
टाटा संस ने एक बयान में कहा कि टाटा ने बैठक में चंद्रशेखरन की अगुआई में समूह की प्रगति और प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त किया और उन्हें पांच साल का एक और कार्यकाल देने की सिफारिश की। टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन रतन टाटा, टाटा संस के भी मानद चेयरमैन हैं। बयान में कहा गया है कि बोर्ड के सदस्यों ने कार्यकारी चेयरमैन के प्रदर्शन की सराहना की और आपसी सहमति से चंद्रशेखरन की दोबारा नियुक्ति को मंजूरी दी। टाटा संस के बोर्ड में अन्य सदस्य- वेणु श्रीनिवासन, अजय पीरामल, राल्फ स्पेथ और भास्कर भट, सौरभ अग्रवाल और हरीश मनवानी हैं।
टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में 66 फीसदी हिस्सेदारी है। इसने अपने दो न्यासियों को टाटा संस के बोर्ड में निदेशक के रूप में भेजने की योजना बनाई है। टाटा ट्रस्ट्स के वाइस चेयरमैन विजय सिंह को टाटा ट्रस्ट द्वारा नामित व्यक्ति के रूप में टाटा संस के बोर्ड में फिर शामिल किए जाने की संभावना है। कंपनी के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन के मुताबिक जब तक समूह में ट्रस्ट्स की कम से कम 40 फीसदी हिस्सेदारी है तब तक वह समूह की होल्डिंग कंपनी में एक तिहाई निदेशकों को मनोनीत कर सकता है। इस समय श्रीनिवासन टाटा ट्रस्ट्स का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि नए ढांचे के मुताबिक टाटा संस के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में बदलाव के आसार हैं। 58 वर्षीय चंद्रशेखरन ने कहा, ‘पिछले पांच साल में टाटा समूह की अगुआई करना सौभाग्य की बात है और मैं टाटा समूह के अगले चरण में इसकी पांच और साल अगुआई करने का मौका पाकर खुश हूं।’ बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा संग्रहीत आंकड़ों से पता चलता है कि टाटा समूह की कंपनियों का बाजार मूल्यांकन पिछले पांच साल में 14.9 लाख करोड़ रुपये यानी 174 फीसदी बढ़ा है। टाटा समूह की शीर्ष 29 सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण शुक्रवार को बढ़कर 23.46 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो फरवरी 2017 में 8.5 लाख करोड़ रुपये था। चंद्रा को दोबारा नियुक्त करने के कदम ने भारतीय कंपनियों के नेतृत्वकर्ताओं या टाटा समूह से जुड़े लोगों को हैरत में नहीं डाला। भारतीय प्रबंध संस्थान, इंदौर के निदेशक हिमांशु राय ने कहा, ‘चंद्रशेखरन के लिए प्रमुख चुनौती यह है कि वह उस मुख्य निवेश होल्डिंग कंपनी की अगुआई कर रहे हैं, जिसमें टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टीसीएस और टाटा पावर सदस्य हैं और हर किसी की अपनी विशिष्ट चुनौतियां और मौके हैं।’ टाटा समूह के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि यह नियुक्ति अनुमान के मुताबिक है क्योंकि टाटा समूह पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के साथ लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोई उठापटक नहीं करना चाहता है।