तमाम दूसरे क्षेत्रों की तरह सीमेंट बनाने वाली कंपनियां भी लागत के बोझ से परेशान हैं और उन्हें मुनाफा दरकने की आशंका है। इसीलिए बड़ी सीमेंट कंपनियां अपने उत्पादों का दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं।
देश की दो सबसे बड़ी सीमेंट कंपनियों एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स की प्रमोटर स्विट्जरलैंड की कंपनी होल्सिम का कहना है कि बिजली का खर्च बढ़ने और कच्चे माल पर ज्यादा लागत आने की वजह से सीमेंट के दाम अब बढ़ाने ही पड़ेंगे।
होल्सिम की कार्यकारी समिति के सदस्य पॉल ह्यूजेंटोबलर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि भारत ही नहीं दुनिया भर में सीमेंट कंपनियों को दाम में 20 से 30 डॉलर प्रति टन का इजाफा करना होगा, ताकि वे मुनाफे की पटरी पर बरकरार रह सकें। उन्होंने कहा, ‘चालू कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही और पिछले कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में अगर तुलना की जाए, तो मुनाफा कमाने की हमारी क्षमता 5 से 7 फीसद कम हुई है। अगर लागत ऐसे ही बढ़ती गई, तो दाम बढ़ाने के सिवा हमारे पास कोई और चारा नहीं रह जाएगा।’
पिछले एक साल में सीमेंट के दाम पहले ही 4 फीसद तक बढ़ चुके हैं। लेकिन कमोबेश सभी कंपनियां एक बार और इनमें इजाफे की गुंजाइश तलाश रही हैं, ताकि बढ़े खर्च को बराबर किया जा सके। ह्यूजेंटोबलर ने कहा कि सीमेंट की कीमतों पर अंकुश लगाने की सरकार की नीति कारगर नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ऐसा करेगी, तो सीमेंट कंपनियों को अपना कामकाज बंद करना होगा और ताला लगाकर बैठ जाना होगा। इसलिए दाम तो बढ़ाने ही होंगे और कुछ नहीं हो सकता। हालांकि उन्होंने आगाह किया कि सीमेंट की मांग में कमी आ सकती है और कंपनियों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।