भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने अपने गोपनीयता के घेरे की व्यवस्था में बदलाव का प्रस्ताव किया है। इसका मकसद आयोग के समक्ष कार्यवाही के लिए आए मसलों पर उनके पक्षकारों द्वारा नियुक्त अधिकृत व्यक्तियों को गोपनीय जानकारी व दस्तावेजों तक पहुंच के लिए सक्षम बनाना है।
सीसीआई ने प्रस्तावित संशोधनों पर 27 मार्च 2024 तक हिस्सेदारों की प्रतिक्रिया आमंत्रित की है।
गोपनीयता के घेरे की अवधारणा पहली बार अप्रैल 2022 में पेश की गई थी, जिससे किसी मामले में शामिल पक्षों को अन्य पक्षों की गोपनीय जानकारी तक पहुंच हासिल करने में सक्षम बनाया जा सके और वे प्रभावी रूप से अपना बचाव कर सकें।
सीसीआई ने गोपनीयता की व्यवस्था में बदलाव का प्रस्ताव इस मकसद से किया है कि पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सके और समय पर मामले निपटाए जा सकें।
अपनी गोपनीय सूचना की गोपनीयता की मांग करने वाले या गोपनीय सूचनाओं के मामले में अन्य पक्षों के लिए गोपनीयता का घेरा बनाए जाने की मांग करने वालों को अब शपथपत्र दाखिल करना पड़ेगा, जबकि इसके पहले बगैर शपथपत्र के स्वप्रमाणन की व्यवस्था थी।
जेएसए एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के पार्टनर वैभव चौकसे ने कहा, ‘शपथपत्र पर अंडरटेकिंग्स दाखिल करने की जरूरत के साथ इसे दाखिल करने की कड़ी समयसीमा तय की गई है, इसमें खासकर विदेशी न्यायक्षेत्र से जुड़े दस्तावेजों को पुष्ट कराने से संबंधित विदेशी पक्षकार हैं और इसमें सीसीआई द्वारा तय समयसीमा को लेकर टकराव हो सकता है।’
सीसीआई ने प्रस्ताव किया है कि जो भी पार्टी अपनी सूचनाओं या दस्तावेजों की गोपनीयता की मांग कर रही है, उसे ऐसा करने के लिए उचित वजह देनी होगी और उसे स्वप्रमाणित करना होगा कि सूचना सार्वजनिक करने से व्यापार की गोपनीयता का खुलासा होगा या इससे वाणिज्यिक मूल्य नष्ट होगा या इससे गंभीर क्षति की आशंका हो सकती है।