देश की कुछ बड़ी पूंजीगत वस्तु एवं इंजीनियरिंग कंपनियां नए संयंत्र स्थापित करने पर 11,500 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय कर रही हैं। देश में पूंजीगत व्यय के मद में आवंटन से बढ़ने से इन कंपनियों को काफी ऑर्डर मिल रहे हैं जिनसे उन्हें नए संयंत्रों की जरूरत महसूस होने लगी है।
आंकड़ों के अनुसार 9 इंजीनियरिंग एवं पूंजीगत वस्तु कंपनियों ने संयुक्त रूप से 11,500 करोड़ रुपये या इससे अधिक रकम पूंजीगत व्यय के मद में निवेश करने की योजना तैयार की है। इन कंपनियों में सीमेंस, लार्सन ऐंड टुब्रों (एलऐंडटी) और केईसी इंटरनैशनल शामिल हैं।
एबीबी इंडिया और थर्मेक्स ग्लोबल जैसी कंपनिया भी क्षमता बढ़ा रही हैं। मगर इन कंपनियों ने यह नहीं बताया कि वे पूंजीगत व्यय के मद में कतिनी रकम खर्च करेगी। कल्पतरु प्रोजेक्ट्स इंटरनैशनल की टावर वनिर्ममाण क्षमता भी पूरी क्षमता के साथ काम कर रही है। कल्पतरु प्रोजेक्ट्स इंटरनैशनल की पारेषण एवं वतिरण (टीऐंडडी) खंड में उपस्थति है। कंपनी चालू वित्त वर्ष में लगभग 500 करोड़ रुपये व्यय करने की योजना पर काम कर रही है।
कंपनी के निदेशक अमित उपलेंचवार ने कहा कि पूंजीगत व्यय के लिहाज से यह कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है क्योंकि यह मेट्रो-प्रणाली जैसे नए खंडों में कदम रख रही हैं। इंजीनियरिंग कंपनी एबीबी इंडिया ने पूंजीगत आंकड़ों का खुलासा नहीं किया।
हालांकि, बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कंपनी ने कहा, ‘कंपनी पूंजीगत आवंटन को लेकर एक स्पष्ट नीति का अनुसरण करती है। जितनी पूंजी आवंटित होनी है उसका 30-35 प्रतिशत हिस्सा कारोबार वृद्धि के लिए नेटवर्किंग पूंजीगय व्यय लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अलग रख दिया जाता है। शेष राशि नई क्षमता विकसित करने और अधिग्हण के लिए रखी जाएगी।‘
थर्मेक्स ग्लोबल अपनी तय नीति के अंतर्गत पूंजीगत व्यय से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक नहीं करती है। मगर इस बारे में जानकारी रखने वाले विश्लेषकों ने कहा कि कंपनी रसायन एवं औद्योगिक जल उत्पाद खंडों में विस्तार पर रकम खर्च करेगी। कंपनी के पूंजीगत व्यय का के एक बड़ा हिस्सा हरित ऊर्जा खंड के लिए उपलब्ध होगा।
जो कंपनियां नए संयंत्र स्थापित कर रही हैं उनमें हरित एवं नई ऊर्जा में निवेश को लेकर उत्साह बढ़ रहा है। एबीबी इंडिया में अध्यक्ष (एनर्जी इंडस्ट्रीज ऑफ प्रोसेस ऑटोमेशन) जी बालाजी ने कहा कि कंपनी वैसे तो सभी खंडों में समान अनुपात में निवेश कर रही है मगर ऊर्जा खंड में पूंजीगत व्यय तेजी से उभरते क्षेत्रों जैसे हाइड्रोजन पर केंद्रित है।