ऊंची कीमतों वाले अपने उत्पादों की बिक्री की घटती रफ्तार को देखते हुए वीडियोकॉन, फिलिप्स और गोदरेज जैसी कंज्यूमर डयूरेबल उत्पाद बनाने वाली कंपनियों ने एक नया रास्ता अख्तियार किया है।
अब वे अपने सस्ते और छोटे उत्पादों की बिक्री में इजाफा करने के वास्ते एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। पिछले साल उनका फोकस महंगे कंज्यूमर डयूरेबल उत्पादों की तरफ था। लेकिन अब यह बदल कर सस्ते उत्पादों पर जम गया है।
कंपनियों को भरोसा है कि सस्ते उत्पादों पर जोर देने से छोटे शहरों और कस्बों में उनकी बिक्री में इजाफा होगा, जिससे वे अपने बिक्री के स्तर को कायम रख पाएंगे। साथ ही, इससे उन्हें गांवों में भी अपनी पैठ को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
देश में इस वक्त कंज्यूमर डयूरेबल्स का बाजार 32 हजार करोड़ रुपये का है, जिसमें पांच हजार करोड़ रुपये तो सिर्फ घरेलू उपकरणों की बिक्री से आते हैं। यह बाजार 10-12 फीसदी की रफ्तार से बढ़ता जा रहा है।
मिसाल के तौर पर वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को ही ले लीजिए। कंपनी ने विकास के लिए एक नया सेक्टर बनाया है, जिसे उसने नाम दिया है न्यू होम अप्लीयांसेज (एनएचए) का। कंपनी केनस्टार के अपने ब्रांड के तहत अपने वॉटर प्यूरीफाइर को भी लॉन्च करने की तैयारी कर रही है।
कंपनी ने वीडियोकॉन ब्रांड के तहत ‘यूपीएस-एच’ के नाम से अपने इनवर्टरों और बैटरियों को भी लॉन्च कर रखा है। इन उत्पादों को कंपनी ने तीन वर्जनों में रखा है और इसे अपने नए एनएचए सेक्टर में रखा है। इस साल, इस सेक्टर में कंपनी ने 250 करोड़ रुपये की कमाई का लक्ष्य रखा है, जबकि वह अगले साल इसे बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये करने की जुगत में है।
2011 तक वह इस सेक्टर से होने वाली कमाई को बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये कर देना चाहती है। कंपनी के उपाध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी के. आर. किम ने हाल ही में ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ को बताया था कि, ‘हमने मिक्सर ग्रांइडर और जैसे छोटे उपकरणों के जरिये 2011 तक 1,000 करोड़ रुपये की कमाई का लक्ष्य रखा है।’
अपने अमीरों की कंपनी समझे जाने वाली फिलिप्स ने भी निचले तबके के ग्राहकों का दिल जीतने की पूरी तैयारी कर रखी है। इसके लिए वह उनकी जरूरतों को पूरे करने के साथ उनकी जेब को भी भा वाले उपकरणों को बनाने पर जोर दे रही है।