विमान बनाने वाली नामी कंपनी एयरबस को भारत से कुछ ऑर्डर रद्द होने का खतरा नजर आ रहा है। एयरबस भारत की लगभग सभी विमानन कंपनियों को विमानों की आपूर्ति करती है।
एयरबस ने बताया कि इन विमानन कंपनियों को हो रहे घाटे के कारण कई कंपनियां या तो ऑर्डर रद्द कर सकती हैं या फिर उनमें कमी ला सकती हैं। एयरबस के मुख्य परिचालन अधिकारी जॉन लिही ने कहा, ‘कुछ भारतीय विमानन कंपनियों से मिले हुए कुछ ऑर्डरों के रद्द होने की पूरी आशंका है।
सस्ती दर पर विमान सेवा उपलब्ध कराने के कारण भारत में किसी भी विमानन कंपनी को फायदा नहीं हो रहा है। भारत में अभी यात्री विमान यातायात सालाना 25 फीसदी की दर से बढ़ रहा है लेकिन इसमें कमी आने की संभावना है। बाजार के खुलने के साथ इस तरह की चुनौतियां आती हैं।’ कई कंपनियों के ऑर्डर घटने की बात स्वीकारते हुए लिही ने इन कंपनियों के बारे में और जानकारी देने से मना कर दिया।
एयरबस के पास अभी विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस के लिए पांच ए-380 की आपूर्ति करने का ऑर्डर है। किंगफिशर जल्द ही अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा भी शुरू करने वाली है। एयरबस के पास भारत की सबसे बड़ी विमानन कंपनी जेट एयरवेज को भी आठ ए- 330 200 विमानों की आपूर्ति करनी है। जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल ने बताया कि भारतीय विमानन कंपनियों को इस साल लगभग 80 अरब रुपये का नुकसान होने की आशंका है।
कंपनियों को होने वाले नुकसान का कारण सस्ती दर पर सेवा मुहैया कराना और विमान ईंधन की बढ़ती कीमत है। जेट एयरवेज को वित्त वर्ष 2007-08 के अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में लगभग 92.4 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था जबकि पिछले वित्त वर्ष के इसी अवधि के दौरान कंपनी को 36 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। हालांकि इन सबके बाद भी एयरबस भविष्य में भारत को बिक्री और अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बाजार के रूप में देखती है।
एयरबस के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी टॉम ऐंडर्स ने कहा, ‘भारत हमारे चार प्रमुख रणनीतिक साझेदारों में से एक है। आप भारत में अपनी मौजूदगी दर्ज कराए बगैर वैश्विक नहीं हो सकते हैं। खासतौर पर जब भारत में बड़ी मात्रा में प्रशिक्षित श्रम और उद्योग के जानकार लोग हों। हमने भारत में तकनीकी शोध परियोजनाओं के लिए कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है।’
पिछले साल एयरबस ने भारत में इंडियन एयरबस इंजीनियरिंग सेंटर नाम से अपना पहला इंजीनियरिंग सेंटर बेंगलुरु में खोला है। इस केंद्र में भारतीय इंजीनियर्स ही अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर ए380 और ए350 के नए मॉडल विकसित करेंगे।
दुनिया भर में छाई हुई मंदी का एयरबस पर असर के बारे में ऐंडर्स ने कहा कि दुनिया के किसी एक हिस्से में मंदी से होने वाले नुकसान को दूसरे हिस्सों में मुनाफा कमाकर संतुलित किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘अगर आप सस्ती विमान दर सेवा को ही ले लीजिए। पिछले हफ्ते मैं चीन में था और वहां विकास दर हर जगह दहाई आंकड़ों में थी। यही बात भारत पर भी लागू होती है।’
(संवाददाता की बर्लिन यात्रा यूरोपीय एयरोस्पेस कंपनी ईएडीएस की ओर से प्रायोजित थी, जिसकी सहायक कंपनी एयरबस है।)