डिजिटल मैपिंग कंपनी मैपमाईइंडिया की शुरुआती निवेशक क्वालकॉम इस कंपनी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है और इसके जरिए सेमीकंडक्टर दिग्गज को अपने मौजूदा निवेश (भारांकित औसत शेयर कीमत 52 रुपये) पर करीब 20 गुना रिटर्न हासिल होने वाला है। क्वालकॉम ने करीब 13 साल पहले पहली बार मैपमाईइंडिया में निवेश किया था।
मैपमाईइंडिया का इरादा आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिए 1,040 करोड़ रुपये जुटाने का है और कंपनी फर्म 18.9 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। इसका मतलब यह है कि 25 साल पुरानी टेक कंपनी का मूल्यांकन इस आईपीओ में 5,500 करोड़ रुपये होगा।
डिजिटल मैप, जियोस्पेशियल सॉफ्टवेयर और लोकेशन आधारित आईओटी टेक्नोलॉजी मुहैया कराने वाली कंपनी का आईपीओ 9 दिसंबर को खुलकर 13 दिसंबर को बंद होगा। इसका कीमत दायरा 1,000 से 1,033 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है।
जापानी मैपिंग कंपनी जेनरिन मैपमाईइंडिया की 9 फीसदी हिस्सेदारी का एक तिहाई बेचेगी। फिनटेक यूनिकॉर्न फोनपे (जो इसमें निवेशक है) की हिस्सेदारी इश्यू के बाद करीब 18 फीसदी होगी। कंपनी ने कहा कि वह इस इश्यू के जरिये प्राथमिक बाजार से कोई रकम नहींं जुटा रही है क्योंकि उसके पास करीब 388 करोड़ रुपये नकद हैं और वह पर्याप्त रूप से पूंजीकृत है। कंपनी के सीईओ रोहन वर्मा ने कहा, आईपीओ लाने की मुख्य वजह यह है कि सार्वजनिक कंपनी होने के नाते हमें और ज्यादा भरोसा जीतने में मदद मिलेगी।
मैपमाईइंडिया में इसके बाद भी बहुलांश हिस्सेदारी संस्थापकों राकेश वर्मा और रश्मि वर्मा के पास रहेगी और उनके पास कंपनी की करीब 53 फीसदी शेयरधारिता इस आईपीओ के बाद होगी।
मैपिंग कंपनी का परिचालन राजस्व सितंबर में समाप्त छह महीने की अवधि में करीब दोगुना होकर 100 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 55 करोड़ रुपये रहा था। कंपनी का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही में बढ़कर 161 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो एक साल पहले 47 करोड़ रुपये रहा था।
कंपनी का राजस्व वित्त वर्ष 20 के 149 करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 21 में मामूली बढ़कर 152 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का शुद्ध लाभ वित्त्त वर्ष 21 में 157 फीसदी बढ़कर 59 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जिसे वित्तीय निवेश से रिटर्न से सहारा मिला।
मैपिंग सेवाएं व इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित प्लेटफॉर्म के लिए मैपमाईइंडिया के करीब 500 एंटरप्राइज ग्राहक हैं। वित्त वर्ष 21 में उसका 44 फीसदी राजस्व वाहन कंपनियों से आया, 9 फीसदी सरकार से और बाकी अन्य कॉरपोरेट ग्राहकों से हासिल हुआ।
