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Bharat Biotech की Nasal Vaccine की कीमत 800 रुपये

यह टीका सरकार की कोविन वेबसाइट पर उपलब्ध है और जनवरी के चौथे सप्ताह तक इसे बाजार में उपलब्ध करा दिया जाएगा

Last Updated- December 28, 2022 | 12:22 AM IST
Bharat Biotech's Nasal Vaccine costs Rs 800.
BS

बाजार में भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की इनोवैक्स (iNCOVACC) की कीमत 800 रुपये प्रति खुराक, और बड़ी सरकारी खरीद के मामले में 325 रुपये होगी। हैदराबाद की इस कंपनी ने कहा है कि यह टीका सरकार की कोविन वेबसाइट पर उपलब्ध है और जनवरी के चौथे सप्ताह तक इसे बाजार में उपलब्ध करा दिया जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि इस बारे में अभी निर्णय नहीं लिया गया है कि क्या राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण अ​भियान के लिए नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) की खरीद की जाएगी या नहीं। इनोवैक्स (बीबीवी154) को केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण ब्यूरो (सीडीएससीओ) ने इस महीने के शुरू में हेटरोलॉजस बूस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी दी थी। यह नाक के जरिये इस्तेमाल की जाने वाली रीकॉ​म्बिनेंट एडनोवायरस (फ्लू वायरस) वैक्सीन है।

चीन, जापान और कुछ अन्य देशों में Covid-19 मामलों में हाल में आई तेजी को देखते हुए भारत में चिंता बढ़ गई है। इस वजह से बूस्टर डोज की मांग बढ़ने की संभावना है और भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन का इस्तेमाल नाक के जरिये किया जाता है, जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ सकती है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी निर्माण एवं वितरण के लिए वै​श्विक भागीदार तलाशने को स्वतंत्र है।

इससे भारत बायोटेक को अन्य देशों में अपने टीके की बिक्री करने में तेजी से मदद मिलेगी। चूंकि नाक से लिए जाने वाले टीके का इस्तेमाल आसान होता है और इसमें किसी ज्यादा अनुभवी या प्र​शि​क्षित कर्मी की जरूरत नहीं होती, इसलिए यह उन न्यून एवं मध्य आय वाले देशों में लोकप्रिय हो सकती है जिनमें अभी भी टीके की पहुंच कम बनी हुई है। इस टीके के लिए कोवैक्सीन की तरह उत्पादन संबंधी समस्याएं भी पैदा नहीं होंगी।

यह भी पढ़ें: कोविड से निपटने के लिए ‘मॉक ड्रिल’

भारत बायोटेक के कार्यकारी चेयरमैन कृष्णा इला ने कहा, ‘हमने महामारी के दौरान निर्धारित किए अपने लक्ष्य हासिल किए हैं। हमने दो अलग अलग प्लेटफॉर्मों से कोवैक्सीन और इनोवैक्स विकसित की हैं और इनकी डिलिवरी प्रणालियां भी अलग हैं।’ इनोवैक्स को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, तकनीकी विकास बोर्ड और वा​शिंगटन यूनिवर्सिटी, सैंट लुइस की मदद से विकसित किया गया था।

First Published - December 27, 2022 | 11:24 PM IST

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