सरकार ने सार्वजनिक व निजी बैंकों से 2 लाख रुपये तक के यूपीआई भुगतान के लिए प्रति लेनदेन की सीमा में इजाफा करने को कहा है ताकि एलआईसी आईपीओ के लिए यूपीआई के जरिए खुदरा निवेशकों के आवेदनोंं की कामयाबी की साथ प्रोसेसिंग हो जाए।
निवेश व सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने आईपीओ के लिए तकनीकी तैयारी का जायजा लेने के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाया है, जिसने पाया कि यूपीआई के जरिए भुगतान का विकल्प चुनने पर खुदरा निवेशकों के कई आवेदन इसलिए फेल हो गए क्योंंकि बैंकों ने प्रति लेनदेन की सीमा तय कर रखी है। अधिकारी ने यह जानकारी दी।
खुदरा निवेशक किसी आईपीओ में 2 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं। यूपीआई की मौजूदा सीमा भी 2 लाख रुपये है, लेकिन अलग-अलग बैंकों की अपनी-अपनी लेनदेन सीमा है। यूपीआई के जरिये एक दिन में एक लाख रुपये खर्च किए जा सकते हैं, लेकिन आईपीओ व बीमा भुगतान इस मामले में अपवाद है।
हालांकि वर्किंग ग्रुप ने विश्लेषण मेंं पाया कि पिछले आईपीओ में आवेदन फेल होने का कारण बिजनेस डिक्लाइन रहा। इस मामले पर नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन संग चर्चा हुई और पाया गया कि ऐसी नाकामी प्रति लेनदेन की सीमा के कारण हो रही है, जिसे अलग-अलग बैंकों ने लागू किया है।
प्रति लेनदेन सीमा में बढ़ोतरी, रोजाना की लेनदेन की अनुमन्य संख्या से ज्यादा होने और दिन के लिए तय सीमा से ज्यादा होने पर बिजनेस डिक्लाइन माना जाता है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, करीब 3,13,995 आईपीओ मैनडेट जनवरी 2022 में एसबीआई में सृजित हुए, जिसमे ंसे 12.51 फीसदी बिजनेस डिक्लाइन के चलते फेल हो गए। दिसंबर 2021 में 19.6 करोड़ मैनडेट एसबीआई में सृजित हुए थे, जिनमें से 8.26 फीसदी बिजनेस डिक्लाइन के चलते फेल हुए।