सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यस्थता पंचाट को केकेआर इंडिया फाइनैंशियल सर्विसेज के साथ मामले में एवरेडी इंडस्ट्रीज द्वारा दी गई न्यायिक चुनौती के आवेदन का निपटान करने का निर्देश दिया है।
1 अप्रैल के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने एवरेडी से यह भी कहा था कि वह व्यवसाय की सामान्य प्रक्रिया को छोड़कर अपनी परिसंपत्तियों का निपटान नहीं करे। आदेश में कहा गया कि याची (एवरेडी) को चार सप्ताह की अवधि तक (मध्यस्थता पंचाट का अगला आदेश आने तक) अपनी गैर-भारग्रस्त परिसंपत्तियों से किसी तरह के बचाव से प्रतिबंधित किया गया है।
एवरेडी ने स्टॉक एक्सचेंजों को शनिवार को आए आदेश के बारे में जानकारी दी और कहा कि कंपनी अपने कानूनी सलाहकार की सलाह के आधार पर जरूरी कदम उठाने की प्रक्रिया में है।
कंपनी के अधिकारियों ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश कुछ हद तक राहत लेकर आया था क्योंकि इससे सामान्य व्यवसाय की परिसंपत्तियां बेचने या उनकी जिम्मेदारी संभालने की अनुमति मिली थी, जबकि पहले इसकी अनुमहित नहीं थी।
अधिकारियों का यह भी कहना है कि चार सप्ताहों में मध्यस्थता पंचाट को यह निर्णय लेना होगा कि क्या एवरेडी मध्यस्थता सुनवाई के लिए पक्ष बन सकती है या नहीं।
फरवरी में, दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने एकल पीठ द्वारा जारी किए गए निषेधाज्ञा आदेश को बरकरार रखा था, जिससे विलियमसन मेजर समूह की इकाई के तौर पर एवरेडी अपनी किसी तरह की परिसंपत्तियां बेचने, स्थानांतरित करने, निपटान करने, सौदा करने, या थर्ड पार्टी अधिकारी बनाने से रोक दिया गया।
एवरेडी ने इस निषेधाज्ञा के खिलाफ आवाज उठाई थी और इंटरनैशनल चैम्बर ऑफ कॉमर्स के मध्यस्थता पंचाट के समक्ष मध्यस्थता प्रक्रिया के तहत आर्बीट्रेशन ऐंड कॉन्सिलिएशन ऐक्ट, 1996 के तहत इस आधार पर न्यायिक चुनौती दी कि उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकेगी, क्योंकि वह केकेआर (याचिकाकर्ता) के साथ समझौते से जुड़ी हुई नहीं थी।
खंडपीठ आदेश के खिलाफ एवरेडी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में स्पेशल लीव पेटीशन (एसएलपी) दायर की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 1 अप्रैल को इसे लेकर आदेश जारी किया था।
कानूनी विवाद तब पैदा हुआ था जब केकेआर ने विलियमसन मेजर ऐंड कंपनी और विलियमसन फाइनैंशियल सर्विसेज के लिए दिए गए 200 करोड़ रुपये की वसूलने की कोशिश की थी।
एवरेडी ने व्यावसायिक रणनीति तैयार करने के लिए कंसल्टेंसी फर्म बेन ऐंड कंपनी को नियुक्त किया है।