किफायती दामों पर हवाई सफर कराने वाली कंपनियां स्पाइस जेट और वाडिया समूह की कंपनी गो एयर में विलय को लेकर बातचीत का दौर शुरू हो चुका है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर दोनों कंपनियां कुछ भी कहने से इनकार कर रही हैं।
लेकिन, नजदीकी सूत्रों के मुताबिक इस तरह की संभावनाओ को नकारा भी नहीं जा सकता। पिछले महीने स्पाइसजेट के सीईओ संजय अग्रवाल और गो एयर के प्रबंध निदेशक जे वाडिया के बीच मुलाकात से भी विलय की बातों पर मुहर लगाती दिख रही है।
जब इस बाबत अग्रवाल से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘हम पहले भी कहते रहे हैं कि इस बाजार में कंपनियों की संख्या घटनी चाहिए। इसके लिए विलय और अधिग्रहण का तरीको भी हो सकता है। यह सही है कि मेरे और जे वाडिया के बीच कुछ बातें हुई हैं, लेकिन क्या बातें हुईं, फिलहाल यह मैं नहीं बता सकता।’
दूसरी ओर, जे वाडिया ने यही कहा, ‘मैं बाजार में चल रही अफवाहों पर कैसे टिप्पणी कर सकता हूं?’ उनको कुछ प्रश्न एक ईमेल के जरिये भेजे भी गए, लेकिन उन्होंने अब तक उनका जवाब नहीं दिया। दोनों कंपनियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक स्पाइसजेट ने गो एयर के मुख्य वित्त अधिकारी जी पी गुप्ता को अपनी कंपनी में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (सीएओ) का पद देने की पेशकश भी रखी है।
वहीं, पिछले महीने की 26 तारीख को एक अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी से बातचीत में स्पाइसजेट के अग्रवाल ने कहा था कि उनकी कंपनी छोटे शहरों से भी उड़ानें संचालित करना चाहती है और इसके लिए एक क्षेत्रीय एयरलाइन की बुनियाद भी डाली जा सकती है।
इस कारोबार के जानकारों का मानना है कि स्पाइसजेट के लिए नई क्षेत्रीय एयरलाइन बनाने के बजाय गो एयर को हासिल करना ज्यादा बेहतर रहेगा।
इसकी वजह ये जानकार बताते हैं कि गो एयर-गोआ, जम्मू, श्रीनगर, जयपुर, अहमदाबाद और कोच्चि जैसे शहरों में उड़ाने संचालित करती है। इस कंपनी ने चंडीगढ़, अमृतसर, हैदराबाद और बेंगलुरु से भी उड़ाने संचालित करने के लिए अर्जी दे रखी है।
जानकारों के मुताबिक गो एयर के अधिग्रहण से स्पाइसजेट को इसके अलावा भी कई तरह से फायदा हो सकता है। गो एयर के पास फिलहाल चार एयरक्राफ्ट हैं और 2011 तक कंपनी अपने बेड़े में एयरक्राफ्ट की संख्या बढ़ाकर 20 तक करने की योजना पर काम कर रही है। एक जानकार का कहना है, ‘अगर स्पाइसजेट अधिग्रहण करने में कामयाब रहती है तो कपंनी एयरक्राफ्ट के लिए तय स्लॉट को भी बेच सकती है।’
स्पाइसजेट की बाजार में 11.8 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि गो एयर की हिस्सेदारी 2.4 फीसदी ही है। एक अमेरिकी निवेश विल्बर रॉस ने स्पाइजेट में हाल ही में 8 करोड़ डॉलर का निवेश किया है, लेकिन गो एयर अभी तक किसी निवेशक की बाट जोह रही है।
स्पाइसजेट-गो एयर में चल रही मेल की बातचीत
दोनों के आला अधिकारी मिले पिछले महीने
खुले तौर पर कुछ भी कहने से बच रही हैं कंपनियां
स्पाइजेट चाहती है छोटे शहरों से भी उड़ानें संचालित करना
गो एयर का साथ मिलने से फायदा