बीएस बातचीत
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने कहा है कि आगामी हफ्तों में प्राथमिक व द्वितीयक बाजारों में गिरावट आ सकती है। ऐश्ली कुटिन्हो को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक तब बाजार में दोबारा आ सकते हैं जब बाजार में मौजूदा स्तर से 10 से 15 फीसदी की गिरावट आएगी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
भारतीय इक्विटी को लेकर आपका क्या नजरिया है?
पिछली दिवाली से इस दिवाली तक का एक साल का समय हमारे लिए काफी शानदार रहा है और यहां से कुछ एकीकरण हो सकता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बिकवाली में इजाफा किया क्योंंकि वे भारत को दुनिया भर के बाजारों में सबसे महंगे बाजार में से एक मान रहे हैं। लेकिन 10 से 15 फीसदी की गिरावट के बाद वे खरीदार बन गए हैं। ढांचागत तौर पर खुदरा निवेशक काफी ज्यादा भागीदारी कर रहे हैं। ऐसे में जब भी एफपीआई की मनोदशा बदलेगी, हमें ऐसी स्थिति देखने को मिलेगी जहां खुदरा व संस्थागत निवेशक खरीदार होंगे।
कौन से वैश्विक संकेतों पर हमें नजर रखनी चाहिए?
पिछले दो वर्षों में दुनिया नकदी व लागत के लिहाज से फेड की काफी ज्यादा उदारता का अभ्यस्त हो चुका है। लेकिन दोनों ही परिदृश्य में अगले 12 महीने में बदलाव हो सकता है और बदलाव का दायरा काफी बड़ा हो सकता है। नकदी मेंं काफी कटौती हो सकती है और ब्याज दरोंं का चक्र आगे बढ़ सकता है। इतिहास में यह पहला मौका है जब दुनिया 5-6 फीसदी की नकारात्मक दरों पर ट्रेडिंग कर रहा है। अगला साल बाजारों के लिए एकीकरण का हो सकता है और हमें सावधानी से कदम बढ़ाने की दरकार है।
कंपनियों की आय की रफ्तार को लेकर विश्लेषक आशावादी नजर आ रहे हैं। इस पर आपकी क्या राय है?
कई वर्षों में यह पहला मौका है जब विश्लेषकों ने निफ्टी-50 की कंपनियों की आय के अनुमान में कटौती नहीं की है। हमने विश्लेषकों को साल की शुरुआत 700 रुपये से करते देखा है और फिर उसे 600 रुपये या 650 रुपये पर लाते देखा है। इस साल वे इसे 730 रुपये पर बरकरार रखे हुए हैं और अगले साल वे इसे बढ़ाकर 830 या 850 रुपये कर सकते हैं।
अर्थव्यवस्था के बारे में आप क्या कहेंगे?
अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ रही है। एक राय उभरकर आई है कि हम गंभीरता से निजी पूंजीगत खर्च के चक्र के दौर में उभार पर हो सकते हैं और चीन व अन्य की कंपनियों की विनिर्माण की रणनीति अगले साल शुरू होगी। अर्थव्यवस्था में क्रेडिट का उठाव जोर पकड़ेगा जब देश खुलेगा और उपभोक्ता व कंपनियों का भरोसा अपना आत्मविश्वास दोबारा हासिल करेंगे। अभी कंपनिया कर्ज घटा रही हैं और कुछ समय में यह बदलेगा और कंपनियां पूंजीगत खर्च का आगाज करेंगी। अगर अगले साल देश को 8 फीसदी की रफ्तार हासिल
करनी है (जिसकी काफी संभावना है) तो बाजार उचित कीमतोंं पर नजर डालना शुरू करेगा।
हमने इस साल रिकॉर्ड आईपीओ देखे। क्या यह रफ्तार जारी रहेगी?
आईपीओ बाजार अब ठंडा हो रहा है और वास्तविकताओं से रूबरू हो रहा है। मूल्यांकन में 30 से 40 फीसदी की कटौती हुई है और मुझे भरोसा है कि कुछ इश्यू टलेंगे। यह एक प्रक्रिया है। इस साल हमने काफी आईपीओ देखे और अब हम शायद कुछ गिरावट की ओर बढ़ रहे हैं। आने वाले समय में प्राथमिक व द्वितीयक बाजारों में कुछ गिरावट आ सकती है।
आपको कौन-कौन से क्षेत्र आकर्षक लगते हैं?
वित्तीय, बीमा व डिजिटल कंपनियों के अलावा कुछ चुनिंदा उपभोक्ता कंपनियों पर हमारा नजरिया तेजी का है। हमें अभी भी उम्मीद है कि ऑटोमोटिव में सुधार होगा और वह बेहतर डिलिवरी करेगा। हमारे पोर्टफोलियो में ज्यादातर कंपनियां पुरानी हैं। हम अपने पोर्टफोलियो मेंं कुछ रकम डिजिटल कंपनियों के लिए आवंटित कर रहे हैं ताकि सुनिश्चित हो कि हम उस शानदार बढ़त से दूर न रहें जो इनमें से कुछ कंपनियों में अगले 10 से 15 वर्षों में दिख सकती है। हमें डिजिटल क्षेत्र को सकारात्मक नजरिये से देखना चाहिए, हो सकता है कि अभी कुछ कंपनियोंं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया हो लेकिन इस क्षेत्र में वैल्यू देखी जा सकती है। डिजिटल कंपनियों पर नजर डालने के लिए अहम यह है कि क्या ये कंपनियां अगले 5, 10 या 15 साल में अपना अस्तित्व बनाए रखेंगी। अगर उनमें यह माद्दा है तो बढ़त की गुंजाइश काफी ज्यादा हो सकती है।