गेहूं के भाव 9 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गए। उद्योग का कहना है कि अगर सरकार ने अपने स्टॉक से गेहूं जारी नहीं किया तो त्योहारी सीजन को देखते हुए इसके भाव और बढ़ सकते हैं। ऐसे में भारतीय आटा मिल संचालकों ने सरकार से अपने स्टॉक से गेहूं जारी करने की मांग की है।
दक्षिण भारत के गेहूं की खपत करने वाले राज्यों के एक बड़े आटा मिल मालिक ने कहा, ‘गेहूं की आपूर्ति दिन-ब-दिन गिरती जा रही है और समग्र आपूर्ति की स्थिति पिछले साल की तुलना में खराब दिख रही है। इसलिए सरकार को तुरंत अपने स्टॉक से गेहूं बाजार में उतारना शुरू करना चाहिए’
उन्होंने कहा कि गेहूं के भाव 28,000 रुपये प्रति टन के स्तर को छू चुके हैं, अप्रैल में ये भाव 24,000 रुपये टन था। एक आटा मिल मालिक ने कहा कि पिछले साल सरकार ने जून में अपने भंडार से गेहूं बेचना शुरू किया और जून 2023 से मार्च 2024 के बीच उसने स्टॉक से लगभग 100 लाख टन गेहूं की रिकॉर्ड बिक्री की थी।
इससे आटा मिलों और बिस्किट निर्माताओं जैसे थोक खरीदारों को सस्ती कीमत पर गेहूं की आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिली। अब हम अगस्त के दूसरे पखवाड़े में हैं और सरकार ने अभी तक राज्य के भंडार से गेहूं बेचने की पेशकश शुरू नहीं की है और इस देरी के कारण गेहूं की कीमतों में और वृद्धि हुई है।
भारत ने शुरू में अपने स्टॉक से जुलाई से थोक उपभोक्ताओं को गेहूं बेचने की योजना बनाई थी। जैसा कि रॉयटर्स ने जून में एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए रिपोर्ट किया था। लेकिन इसमें देरी हुई और इसकी योजना पर बाद में कोई जानकारी नहीं आई। इस बारे में टिप्पणी लेने के लिए एक सरकारी प्रवक्ता ने भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया। कर्नाटक के एक अन्य आटा मिल मालिक ने कहा कि सरकार को अब अपने भंडार से कुछ स्टॉक निकालने में देरी नहीं करनी चाहिए।