समुद्री खाद्य निर्यात उद्योग के लिए खुशी की खबर है।
अमेरिका के होमलैंड सुरक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले कस्टम्स ऐंड बॉर्डर प्रोटेक् शन (सीबीपी) ने देश में आयात होने वाली झींगा मछली पर ईबीआर (एनहेंस्ड बाँडिंग रिक्वायरमेंट ) को हटाने के लिए कदम उठाए हैं।
सीबीपी ने हाल ही में ईबीआर को हटाए जाने के लिए जनता की राय मांगी थी। यह राय खासकर झींगा आयातकों और घरेलू उत्पादकों से मांगी गई थी। अमेरिका ने यह कदम खासकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की विवाद निपटारा समिति (डीएसबी) के एक फैसले के बाद उठाया है ।
जिसमें डब्ल्यूटीओ के समझौते के मुताबिक ईबीआर को तत्काल खत्म किए जाने को कहा गया था। डब्ल्यूटीओ ने भारत और थाईलैंड द्वारा अप्रैल 2006 में की गई एक शिकायत के बाद यह फैसला दिया था।
अमेरिका के इस कदम को भारत के निर्यातक और विश्लेषक, घरेलू निर्यात उद्योग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मान रहे हैं। पिछले 4-5 साल में भारत और अमेरिका के बीच कारोबार में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है।
अगर निर्यातकों की संख्या के लिहाज से देखें तो 2005 में अमेरिका को निर्यात करने में 254 निर्यातक लगे थे, जो पिछले साल केवल 52 ही रह गए। इसकी प्रमुख वजह यह रही कि अमेरिका ने ईबीआर का अच्छा खासा बोझ लाद रखा है।
इसके साथ ही वार्म वाटर झींगा पर एंटी डंपिंग शुल्क भी लगता है। भारत से अमेरिका को 2006-07 में 1347 करोड़ रुपये का 43,758 टन झींगे का निर्यात हुआ था, जबकि 2007-08 में यह गिरकर 36,612 टन रह गया, जिसकी कीमत 1017 करोड़ रुपये थी।
अमेरिका में निर्यात की भारत की हिस्सेदारी गिरकर 13.3 प्रतिशत हो गई और इस तरह से भारत, यूरोपीय संघ, जापान और चीन के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया।