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महंगी पड़ेगी चीनी की मिठास

Last Updated- December 10, 2022 | 12:37 AM IST

आने वाले दिनों में चीनी खरीदने के लिए आपको अपनी जेबें थोड़ी और ढीली करनी पड़ सकती हैं। थोक बाजार में चीनी पहले ही 23 रुपये प्रति किलोग्राम का आंकड़ा छू चुकी है और जल्दी ही 25 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है।
दरअसल, चीनी की खपत से कम उत्पादन की वजह से चीनी की मिठास लगातार महंगी होती जा रही है और आने वाले वक्त में इसमें कमी के आसार नहीं नजर आते। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र दो ऐसे सूबे हैं जहां पर चीनी का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है।
पिछले साल देश में कुल 2.80 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था। जिसमें से 80 लाख टन चीनी उत्तर प्रदेश में हुई थी और 90 लाख टन चीनी का उत्पादन महाराष्ट्र में हुआ था। लेकिन इस साल इन दोनों ही सूबों में गन्ने का रकबा कम है जिसके चलते चीनी मिलें अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रही हैं।
नतीजतन, चीनी का उत्पादन काफी कम रहने की आशंका है। सहारनपुर की दया शुगर मिल के एडवाइजर डी के शर्मा ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ चीनी मिलों को जरूरत के हिसाब से गन्ना मिल नहीं पा रहा है। ऊपर से गन्ने के भाव पिछले साल की तुलना में 35 से 40 रुपये तक ज्यादा हैं। ऐसे में हमें लागत को देखते हुए मुनाफा बनाने में मुश्किल आ रही है। ‘
उत्तर प्रदेश में इस साल गन्ने का रकबा 30 फीसदी और महाराष्ट्र में 40 फीसदी कम है। उत्तर प्रदेश में जहां इस सीजन में 132 चीन मिलें पेराई में लगी थीं वहीं महाराष्ट्र में तकरीबन 156 मिलों में से 140 से 145 मिलें ही इस सीजन में पेराई कर रही हैं।
पेराई के काम में लगी मिलों को भी जरूरत के हिसाब से गन्ना मुहैया नहीं हो पा रहा है जिसके चलते कई मिलें तो वक्त से पहले ही बंद हो गई हैं। इसके चलते महाराष्ट्र से होने वाला चीनी उत्पादन इस साल घटकर 45 लाख टन रह सकता है।
उत्तर प्रदेश के हालात भी ज्यादा जुदा नहीं हैं। यहां भी पिछले साल के मुकाबले चीनी उत्पादन 50 फीसदी कम रहकर 40 से 45 लाख टन के आसपास रह सकता है। इन रुझानों के चलते बाजार में चीनी ने ऊपर चढ़ना शुरू कर दिया है।
मुजफ्फरनगर के एक बड़े चीनी एजेंट सुधीर गोयल कहते हैं, ‘चीनी 23 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है और जल्द ही 25 रुपये तक भी पहुंच सकती है। 

पिछले सीजन में जहां तैयार चीनी का भाव 2,200 रुपये प्रति क्विंटल था वहीं इस साल यह भाव बढ़कर 2,325 से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है।
जबकि पिछले सीजन की तैयार चीनी इस वक्त बाजार में 1,850 से 1,900 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही है।’ गन्ने के कम उत्पादन और दूसरी कई वजहों से परेशान चीनी मिलों को मुनाफा बनाने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
मुजफ्फरनगर की एक चीनी मिल के अधिकारी कहते हैं, ‘गन्ने की कमी है, ऊपर से कीमत ज्यादा है। चीनी तैयार करने वाले रसायनों के दाम बढ़ गए हैं। लेबर की कीमत बढ़ गई है। ऐसे में मिलें नुकसान में तो चीनी नहीं बेचेंगी।’
दरसअल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र दोनों सूबों के पश्चिमी क्षेत्र चीनी उत्पादन के लिए जाने जाते हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र में जहां इस बार पुणे-कोल्हापुर पट्टी की चीनी मिलों की हालत खराब है वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ-मुजफ्फरनगर-सहारनपुर-बिजनौर पट्टी की हालत पस्त है।
इस साल देश में चीनी उत्पादन घटकर 1.6 से 1.6 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। जबकि देश में खपत ही इससे ज्यादा की है। पुणे के एक शुगर एजेंट संजय रायसोनी कहते हैं, ‘गर्मियां बढ़ने से चीनी की खपत की और बढ़ जाती है जबकि चीनी का उत्पादन कम हुआ है। ऐसे में कीमतें बढ़नी तय हैं।’
महंगाई को मापने वाले थोक मूल्य सूचकांक में भी चीनी का खासा भारी वजन है। चुनावी साल में सरकार भी महंगी चीनी का खतरा मोल नहीं लेना चाहती। इसलिए सरकार ने शुल्क मुक्त चीनी के आयात को मंजूरी दी है।
लेकिन जानकार इस कदम का कोई फायदा मिलता नहीं देख रहे हैं। एक जानकार कहते हैं, ‘अगर 10 लाख टन कच्ची चीनी का आयात किया जाता है तो उसे रिफाइन करके 9 लाख टन चीनी ही बन पाएगी और उसे बाजार में आने में ही कम से कम 8 महीने लग जाएंगे। ‘

First Published - February 10, 2009 | 10:11 PM IST

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