देश में उत्पादन कम होने और वैश्विक बाजार में दाम बढ़ने के कारण घरेलू बाजार में चीनी की कीमत लगातार बढ़ रही है। सरकार चीनी के दाम नियंत्रित रखने के लिए कुछ और कदम उठाने की तैयारी में है तो दूसरी तरफ आर्थिक तंगी से परेशान चीनी उद्योग सरकार से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) में बढ़ोत्तरी करने की लगातार मांग कर रहा है। उद्योग जगत की मांग सरकार बनाती है तो चीनी और महंगी होगी।
देश में चीनी का औसत थोक दाम बढ़कर 3920 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया। मुंबई थोक बाजार में चीनी का औसत दाम 3662 रुपये क्विंटल चल रहा है जो पिछले महीने 3607 रुपये जबकि जुलाई 2022 में 3448 रुपये प्रति क्विंटल था।
थोक बाजार में दाम बढ़ने का असर खुदरा बाजार में भी देखने को मिल रहा है मुंबई में चीनी (M 30) का खुदरा औसतन दाम बढ़कर 47 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। कीमतों में रही वृद्धि को रोकने के लिए सरकार ने मई महीने के कोटे में अतिरिक्त 1.50 लाख टन की वृद्धि की थी।
माना जा रहा था आपूर्ति बढ़ने से कीमतों में गिरावट आएगी। हालांकि खुदरा बाजार में चीनी सस्ती होती नजर नहीं आ रही है।
बाजार जानकारों का कहना है कि दरअसल मई और जून महीने में चीनी की मांग बहुत ज्यादा थी दूसरी तरफ वैश्विक बाजार में कीमतें रिकॉर्ड बना रही थी जिसके कारण कीमतें कम नहीं हुई लेकिन बरसात शुरु होने के बाद मांग में कमी आना शुरु हो गई है जिससे कीमतों रफ्तार में लगाम लगने लगी है। हालांकि चीनी मिलों की मांग सरकार मानती है तो कीमतें की रफ्तार और तेज होगी।
चीनी उद्योग की तरफ से MSP बढाने की लगातार मांग की जा रही है।
चीनी उद्योग के विशेषज्ञ बी.बी. ठोंबरे ने कहा कि देश की सभी चीनी मिलें सरकार को हर साल करोड़ों का टैक्स भुगतान करती है, इसलिए चीनी उद्योग के प्रति केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सहानुभूति का रवैया अपनाना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा MSP में आखिरी बढ़ोतरी 2019 में की गई थी । 2023-24 सीजन के लिए FRP 3150 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है, लेकिन चीनी MSP 3100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी हुई है।
सरकार ने गन्ने का FRP बार बार बढ़ाया, लेकिन गन्ने से बने चीनी का MSP नही बढ़ाया है, जो बढ़ाना काफी जरुरी है।
चीनी की MSP 3100 रुपये प्रति क्विंटल से बढाकर 3700 रुपये प्रति क्विंटल किया जाना चाहिए। अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) ने इस संबंध में कुछ दिन पहले खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा को एक ज्ञापन भी दिया था। जिसमें कहा गया है कि न्यूनतम बिक्री मूल्य उत्पादन लागत से अधिक होना चाहिए, जो 3,400-3,600 रुपए प्रति क्विंटल है।
2019 में FRP प्रति टन 2750 रूपये थी 2023-24 के लिए FRP 3150 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है, जबकि चीनी की MSP 3100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी हुई है।
चीनी उद्योग लगातार केंद्र सरकार से MSP में बढ़ोतरी की मांग कर रहा है। लेकिन अभी भी सरकार की ओर से MSP बढ़ोतरी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
उद्योग जगत के लोगों का कहना है कि सरकार समय-समय पर चीनी उद्योग को वित्तीय संकट से बाहर निकालने के लिए विभिन्न उपाय करती रही है। जबकि टास्क फोर्स ने इसके लिए दीर्घकालिक समाधान की सिफारिश की है।
चीनी उद्योग को स्थायी आर्थिक संकट से बाहर लाने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है। जबकि सरकार की मदद एक अस्थायी राहत होती है इससे चीनी उद्योग आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पायेगा। चीनी उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए MSP में बढ़ोतरी एक अच्छा कदम साबित हो सकता है।