मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस महीने केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री का पद संभाले एक साल पूरा हो जाएगा। उन्होंने 11 जून, 2024 को इस मंत्रालय की कमान संभाली थी। बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कृषि क्षेत्र को लेकर अपना दृष्टिकोण साझा किया और किसानों के साथ मौजूदा जन समूह संपर्क कार्यक्रम पर भी चर्चा की। साक्षात्कार के प्रमुख अंशः
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन शानदार रहा है। इस अवधि में इस कृषि की वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रही है और पूरे साल के लिए दर 4.6 प्रतिशत रही। इन दमदार आंकड़ों को आप कैसे देखते हैं?
चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र के लिए सकल मूल्य वर्द्धन के आंकड़ों ने सभी के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी है। मैं इस उपलब्धि के लिए देश के किसानों की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं। इस साल रबी फसलों का उत्पादन भी शानदार रहा है और वर्ष 2024-25 में कुल खाद्यान्न उत्पादन लगभग 2.16 करोड़ टन रहा है, जो पिछले साल की तुलना में अधिक है। गेहूं उत्पादन में नया रिकॉर्ड बना है। अन्य फसलों का उत्पादन भी अच्छा रहा है। हमारे अनाज भंडार में काफी बढ़ोतरी हुई है।
ग्रामीण क्षेत्र में मांग सुधरना भी देश के कृषि क्षेत्र में अच्छी वृद्धि से जुड़ा एक पहलू रहा है। यहां मांग सुधरने से देश में उपभोग को भी ताकत मिली है। क्या आपको यह भी सकारात्मक संकेत दिखता है?
मेरा व्यक्तिगत अनुभव यह रहा है कि जब भी किसानों की आमदनी बढ़ती है तो वे अधिक उत्पादन करते हैं और मुनाफा भी बढ़ता है। चूंकि व्यय कमोबेश समान रहता है, इसलिए किसी भी फसल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ने की सूरत में किसानों का मुनाफा भी बढ़ जाता है। किसानों के हाथ में जब रकम आती है तो वे इन्हें उपभोग की वस्तुओं पर खर्च करते हैं। जब कारखानों में उत्पादन बढ़ता है तो पूंजी तैयार होती है, जो बाद में निवेश के रूप में सामने आती है। कृषि क्षेत्र की वृद्धि के सकारात्मक असर दूर-दूर तक दिखते हैं। यह क्षेत्र देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था को नई ताकत देने की क्षमता रखता है। मेरा मानना है कि कृषि क्षेत्र में मजबूत उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ी है।
वित्त वर्ष 2025-26 में मॉनसून में अच्छी वर्षा होने का अनुमान जताया गया है और देश के कई हिस्सों में बारिश भी शुरू हो गई है। आपको लगता है कि आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा?
जिस तरह के प्रयास हो रहे हैं और जो कदम उठाए जा रहे हैं उन्हें देखते हुए मुझे पूरा विश्वास है कि कृषि क्षेत्र के लिए वित्त वर्ष 2025-26 उम्मीद से भी बेहतर साबित होगा। उदाहरण के लिए हमने विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत की है, जो किसानों और वैज्ञानिकों को एक साथ लाने के लिए किए गए अब तक के सबसे बड़े प्रयासों में एक है। हम पिछले साल की तुलना में खरीफ फसलों के उत्पादन में और इजाफा करना चाहते हैं। इसे देखते हुए ही 2,000 से अधिक वैज्ञानिक और अधिकारी पूरे देश में किसानों के साथ संपर्क साध रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि कृषि के लिए जल कितना आवश्यक है, इसलिए इस साल मॉनसून अच्छा रहेगा तो इसका कृषि कार्यों पर सकारात्मक असर होगा। यह अभियान समाप्त होने के बाद हम अलग-अलग राज्यों के लिए कृषि शोध व्यवस्था तैयार करेंगे और किसानों से मिली प्रतिक्रिया एवं सुझावों के आधार पर वित्त मंत्रालय से कुछ खास फसलों के लिए अधिक रकम की मांग करेंगे।
‘विकसित कृषि अभियान’ की यह कहते हुए आलोचना होती है कि यह उत्पादन बढ़ाने पर अत्यधिक ध्यान देता है मगर किसानों की आय बढ़ाने की वास्तविक चुनौती पर ध्यान नहीं देता। आप क्या कहेंगे?
हम सभी स्तरों पर एक साथ काम कर रहे हैं। अपने देश की आबादी की खाद्यान्न जरूरतें पूरी करने के साथ ही हम पूरी दुनिया के लिए भी भोजन का इंतजाम कर रहे हैं। तीसरी अहम बात यह है कि हम उन खाद्य वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिनकी हमें जरूरत है। हमें अधिक नकदी फसलें उगाने की आवश्यकता है। जहां तक किसानों की आय बढ़ाने की बात है तो जब उत्पादन बढ़ता है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन में इजाफा होता है तो आय भी बढ़ती है क्योंकि लागत तो पहले जितनी ही रहती है।
हाल में खाद्य तेल पर आयात शुल्क बढ़ने से किसानों के बीच नाराजगी देखी जा रही है। तिलहन के लिए एमएसपी बढ़ाना और सस्ते आयात को बढ़ावा देने में विरोधाभास तो नहीं है?
कृषि उत्पादों की आयात एवं निर्यात नीति को ध्यान में रखते हुए हम संतुलन साधना चाहते हैं। किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाना हमारी नीति है तो देश की बड़ी आबादी के लिए खाद्यान्न का प्रबंध करना भी हमारा दायित्व है। उपभोक्ताओं के लिए उचित मूल्य पर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना हमारा फर्ज है। कई बार उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए कई निर्णय लिए जाते हैं। इसके साथ ही मौजूदा हालात को देखते हुए भी फैसले लिए जाते हैं।
तो आपके हिसाब से कृषि में आदर्श निर्यात-आयात नीति क्या होनी चाहिए?
देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और किसानों के हितों की रक्षा करना दोनों ही हमारे लक्ष्य हैं। लिहाजा निर्यात-आयात नीति को ये दोनों ही लक्ष्यों की पूर्ति करनी चाहिए। जब हम कृषि में आयात-निर्यात नीति की बात करते हैं तो हमें संतुलित दृष्टिकोण रखना होता है।
लंबे समय तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के बाद आप देश के कृषि मंत्री के रूप में एक साल पूरा करने जा रहे हैं। आप की नजरों में यह यात्रा कैसी रही है?
पिछले एक साल में मैंने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण किसानों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सेवा में बिताया है। देश में किसानों एवं महिलाओं की स्थिति में सुधार करना अब मेरा एकमात्र लक्ष्य है। कई बार लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं भी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद की होड़ में हूं। मैं बता देना चाहता हूं कि अगर मुझे विकल्प दिया जाए तो मैं पूरे मन से इस देश के किसानों की सेवा करने को ही महत्त्व दूंगा। मेरे किसान ही मेरे भगवान हैं और उनकी सेवा करना भगवान की सेवा करने जैसा है।