मंगलवार को रुपया गिरकर 4 माह से ज्यादा समय के निचले स्तर पर पहुंच गया। माह के आखिर की भुगतान संबंधी बाध्यताएं पूरा करने के लिए आयातकों की मांग के कारण डॉलर में मजबूती आई और इसका असर रुपये पर पड़ा। डीलरों ने कहा कि सरकारी बैंकों द्वारा डॉलर की खरीद का भी बोझ रुपये पर पड़ा। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता के परिणामों को लेकर अनिश्चितता के कारण भी धारणा कमजोर पड़ी है और 1 अगस्त की अंतिम तिथि को देखते हुए निवेशकों ने सावधानी बरती।
डॉलर के मुकाबले रुपया 86.82 पर बंद हुआ, जो इस साल के 13 मार्च के बाद का निचला स्तर है, जब घरेलू मुद्रा 87 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर पर चली गई थी। सोमवार को रुपया 86.67 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
निजी क्षेत्र के एक डीलर ने कहा, ‘निर्यातकों की ओर से डॉलर की मांग थी। कुछ सरकारी बैंकों ने भी डॉलर खरीदे।’ उन्होंने कहा, ‘अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर चल रही अनिश्चितता के कारण पिछले 2 सप्ताह से धारणा कमजोर है।’ इस महीने में अब तक रुपया 1.37 प्रतिशत कमजोर हुआ है, जबकि इस कैलेंडर वर्ष में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 3.74 प्रतिशत कमजोर हुआ है।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘विदेशी पोर्टफोलियो की निकासी के कारण रुपये पर दबाव पड़ा। 86.90 रुपये प्रति डॉलर पर थोड़ा प्रतिरोध दिखा, जब गिरावट थामने के लिए रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया।’
उधर रिजर्व बैंक को 3 दिन की वैरिएबल रेट रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) नीलामी के लिए 46,058 करोड़ रुपये की बोली मिली है, अधिसूचित राशि 50,000 करोड़ रुपये थी। केंद्रीय बैंक ने 5.49 प्रतिशत कटऑफ रेट पर बोली की राशि स्वीकार कर ली। एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘बोली की राशि उम्मीद के अनुरूप ही थी।’