यूरोपीय, अमेरिकी और एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के मंदी की चपेट में आने से प्राकृतिक रबर का बाजार टूटने के कगार पर है।
गुरुवार को बेंचमार्क ग्रेड आरएसएस-4 की कीमत गिर कर 134 रुपये प्रति किलो के स्तर पर आ गई जबकि पिछले हफ्ते इसकी कीमत 141 रुपये प्रति किलो दर्ज की गई थी।
इसी प्रकार आरएसएस-5 की कीमतें भी घट कर 128 रुपये प्रति किलो हो गई और आईएसएनआर-20 का मूल्य पिछले सप्ताह के 130 रुपये प्रति किलो से घट कर 126 रुपये प्रति किलो हो गया है।
कोच्चि के कुछ शीर्ष डीलरों के अनुसार, आने वाले दिनों में रबर की कीमतों में गिरावट और अधिक होगी क्योंकि इस जिंस की मांग में मंदी आने के अनुमान हैं।
कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट सीधे तौर पर प्राकृतिक रबर की कीमतों के कम होने से संबध्द है क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से कृत्रिम रबर की कीमतें भी बढ़ जाती हैं।
यही कारण है कि पिछले छह-सात महीने में प्रकृतिक रबर के बाजार में तेजी देखी ¬जा रही थी।
आर्थिक मंदी के इस दौर में इस जिंस के भविष्य को लेकर घरेलू बाजार गंभीर रुप से सशंकित है।
अग्रणी कारोबारियों के अनुसार, प्राकृतिक रबर का बाजार मंदी के चपेट में आ गया है जिसकी वजह विभिन्न घरेलू और वैश्विक कारक हैं।
भारत में उत्पादन का मुख्य सीजन अगला महीना होगा और अक्टूबर से जनवरी तक की अवधि में आवक अपने चरम पर होगी।
भारत के कुल सालाना उत्पादन, जो लगभग 8,00,000 टन से अधिक है, का लगभग 50 प्रतिशत इसी चार महीने के दौरान बनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि अगर आपूर्ति अधिकतम रही और बाजार मंदी के चपेट में रहा तो इस जिंस पर भारी संकट आ सकती है।
पिछले तीन-चार दिनों से बाजार में भारी बिकवाली चल रही है और उत्पादक चाहते हैं कि उनके भंडार जितनी जल्दी खत्म हो जाएं उतना अच्छा है। पिछले कुछ दिनों से इस जिंस की आपूर्ति में काफी इजाफा हुआ है।
विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों में रबर को भारी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि अगर वित्तीय संकट बना रहता है और कच्चे तेल के बाजार में नरमी रहती है तो कृषि जिंसों में प्राकृतिक रबर सबसे अधिक प्रभावित होगा।