सरकार को उम्मीद है कि पूरे सीजन में मौसम अनुकूल रहने की वजह से इस साल गेहूं की पैदावार 7.6 करोड़ टन के रिकार्ड स्तर पर पहुंचेगी।
कृषि आयुक्त एन.बी. सिंह ने बताया कि चालू सीजन में तापमान 1999-2000 के तापमान के समान है और गेहूं की बुआई का क्षेत्रफल भी समान स्तर पर है। इसे देखते हुए हम गेहूं के रेकॉर्ड पैदावार की उम्मीद कर सकते हैं। गौरतलब है कि 1999-2000 में देश में गेहूं की पैदावार 7.63 करोड़ टन के रेकॉर्ड स्तर पर थी।
दूसरे अग्रिम अनुमान में सरकार ने इस साल गेहूं का उत्पादन 7.48 करोड़ टन रहने की संभावना जताई थी, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 10 लाख टन कम है। सिंह ने कहा कि पूरे सीजन खासकर फरवरी से मार्च की अवधि में मौसम गेहूं की फसल के लिए काफी अनुकूल रहा। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक पड़ी ठंड ने देरी से हुई बुवाई से फसल पर खराब प्रभाव पड़ने की आशंका को खत्म कर दिया।
इस साल सामान्य समय से बीस दिन अधिक ठंड पड़ी है। सिंह ने कहा – तापमान विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश और पंजाब में सामान्य है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है। जबकि पंजाब और हरियाणा में फसलों की कटाई एक सप्ताह में शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान और हरियाणा के कुछ हिस्सों में तापमान थोड़ा ज्यादा है लेकिन चूंकि फसल कटने के लिए तैयार है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।
फरवरी-मार्च का तापमान गेहूं की फसल के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में ऊंचे तापमान ने गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया था, लेकिन इस साल मौसम काफी अनुकूल है। सिंह ने कहा कि अगर भारी बारिश या तूफान न आए तो वर्तमान मौसम गेहूं के लिए काफी अच्छा है।उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि विभिन्न राज्यों में गेहूं के बुआई क्षेत्र में कमी आने से कुल पैदावार में कमी आएगी।
इस साल 2.27 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की फसल लगाई गई है जबकि पिछले साल 2.82 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई हुई थी।कृषि आयुक्त ने कहा कि हरियाणा और गुजरात में गेहूं की बुआई क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है जहां राष्ट्रीय औसत के मुकाबले गेहूं की प्रति एकड़ पैदावार ज्यादा होती है। हरियाणा में एक लाख हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में गेहूं की फसल लगाई गई है जबकि गुजरात में दो लाख हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में।
हरियाणा में प्रति एकड़ चार टन गेहूं की पैदावार होती है जबकि गुजरात में प्रति एकड़ तीन टन। उधर, राष्ट्रीय औसत 2.6-2.7 टन प्रति हेक्टेयर है। उन्होंने कहा कि नैशनल फूड सिक्योरिटी मिशन के तहत सरकार ने अच्छी क्वॉलिटी केबीज बांटने का काम शुरू किया है और इससे पैदावार में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी। सिंह ने कहा कि हरियाणा व पंजाब में हमने पीबी 502 व पीबी 373 वेरायटी का बीज बांटा है जबकि यहां पहले पीबी 343 वेरायटी का बीज इस्तेमाल होता था।